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कक्षा पहली से हिन्दी की पढाई का प्रखर विरोध

प्रदेश का शैक्षणिक अस्तित्व खत्म होने का दावा

* अन्य प्रांतों का दे रहे उदाहरण
नागपुर/ दि. 19- प्रदेश के कोर्सेस में कक्षा पहली से ही हिन्दी की पढाई के प्रावधान का शिक्षा क्षेत्र में कडा विरोध हो रहा है. उनका आरोप है कि इससे राज्य के शैक्षणिक अस्तित्व को खतरा हो जायेगा. एक समाचार पत्र की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षामंडल की शालाओं में भी 1 अप्रैल से 31 मार्च ऐसा वार्षिक टाइम टेबल प्रस्तावित किया है. दूसरी ओर सीबीएसई पध्दति का कोर्स लागू करने का भी विरोध किया जा रहा है. सुकाणु समिति ने एससीईआरटी द्बारा तैयार कोर्स और प्रारूप को मान्यता दी है. जबकि हिन्दी कक्षा पहली से पढाए जाने का अन्य राज्यों का उदाहरण देकर विरोध किया जा रहा है.
त्रिभाषा सूत्र किंतु ….
राज्य में मराठी और हिन्दी के साथ कक्षा पांचवी से अंग्रेजी भी भाषा के रूप में पढाई जाती है. त्रिभाषा सूत्र अपनाया गया है. किंतु कक्षा पहली और तीसरी से हिन्दी भाषा विषय पढाए जाने पर अध्यापक वर्ग यह कहते हुए आक्षेप ले रहा है कि छोटे बच्चों को कितनी भाषाएं अवगत होगी. वे कहीं पढाई के बोझ से बोझिल न हो जाए. एक्टीव टीचर्स फोरम के संयोजक भाउ साहब चासकर ने बच्चों पर बोझ बढने की बात कही.
शिक्षा संस्था निगम की उपाध्यक्ष जागृति धर्माधिकारी ने कहा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पढाई का तनाव कम कर आनंददायी शिक्षा, कौशल्य विकास, बच्चों की रूचि के अनुसार पढाई पर जोर दिया गया है. अब प्राथमिक स्तर पर हिन्दी विषय समावेश करना अनावश्यक है. दो भाषाएं पढने के साथ और एक भाषा निश्चित ही बच्चों का तान बढायेंगा. राज्य मंडल में बढकर भी अनेक बच्चे वैज्ञानिक, उद्योजक, मंत्री और अध्यापक बने हैं. सीबीएसई कोर्स अपनाकर क्या राज्य का शैक्षणिक अस्तित्व नष्ट किया जायेगा.

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