कोल्हापुर./दि.७– नये साल की शुरूआत में ही देश के सहकारी शक्कर कारखाने धारको को राहत पहुंचाने वाला समाचार है. विगत ३५ वर्षो से कारखानों को जो इनकम टैक्स सता रहा था उसकी समस्या का निराकरण हो गया है. एफआरपी (सस्ते व किफायती दर)की अपेक्षा अधिक गन्ने की कीमत देनेवाला शक्कर कारखाना की समस्या का हल हो गया है. साडे ९ हजार करोड का प्राप्तिकर रद्द करने का निर्णय शासन ने लिया है.
एफआरपी, एसएमपी (न्यूनतम वैधानिक मूल्य) की अपेक्षा अधिक गन्ने की दर देनेवाले शक्कर कारखाने को प्राप्तिकर विभाग ने नोटिस भेजा था. बढी हुई रकम यानी नफा जोडकर उस पर टैक्स वसूल करने की नीति प्राप्तीकर विभाग नेे अपनाई थी.देशभर के सहकारी शक्कर कारखानों को टैक्स वसूली का नोटिस लागू होेने से उसमें बहुत नाराजी थी. विगत ३० वर्ष से यह समस्या प्रलंबित थी. इस समस्या का हल करने का पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने केन्द्र सरकार से प्रयास किया था.
केन्द्रीय गृहमंत्री व सहकार मंत्री अमित शहा ने प्राप्तिकर विभाग को एफआरपी की अपेक्षा अधिक रकम पर टैक्स वसूल करना उचित नहीं होने की सूचना दी थी. उस पर विगत वर्ष २५ अक्तूबर को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टॅक्सेशन (सीडीबीटी) विभाग ने परिपत्रक द्वारा यह प्राप्तीकर वसूल करने का निर्णय पीछे लिया. उसमें २०१६ से लागू होनेवाले टैक्स का उल्लेख था. परंंतु इससे पूर्व हुए टैक्स वसूल करने के संबंध में संदेह था. फिर भी केन्द्रीय सहकार मंत्री का दरवाजा खटखटाया गया था. शहर की सूचनानुसार ५ जनवरी को अवर सचिव सौरभ जैन ने सुधारित परिपत्रक निकालकर सभी सहकारी शक्कर कारखानों की रकम पर प्राप्तिकर रद्द किया गया है.