मुंबई/दि.१२ – कम वेतन व अन्य आर्थिक समस्याओं के कारण मार्च 2020 से अब तक राज्य में 23 एसटी कर्मचारियों ने आत्महत्या की है. एसटी महामंडल व्दारा यह जानकारी दी गई है. इनमें 13 चालक होकर उनके बाद वाहक व विविध विभागों के कर्मचारियों का समावेश है.
कोरोना के कारण मार्च 2020 से लॉकडाउन लगा और महामंडल के यातायात पर भी निर्बंध आया. इस कारण महामंडल की आय पर असर हुआ. गत वर्ष दो महीने वेतन देरी से हुआ तो इस बार के वर्ष में भी वेतन का प्रश्न निर्माण हुआ. राज्य सरकार की आर्थिक मदद मिली है फिर भी समय पर वेतन न मिलने से समस्या कायम है. महामंडल व्दारा दी गई जानकारी के अनुसार मार्च 2020 से फरवरी 2021 तक 12 कर्मचारी व मार्च 2021 से अब तक 11 एसटी कर्मचारियों ने आत्महत्या की है. अगस्त 2021 में तो चार एसटी कमर्कचारियों ने आत्महत्या की थी.
कोल्हापुर, नागपुर, सांगली, परभणी, नाशिक, जलगांव, रत्नागिरी लातुर विभाग, नांदेड़, यवतमाल, रायगड, सोलापुर, भंडारा, चंद्रपुर, धुले इन विभागों के एसटी कर्मचारी है. इनमें 13 चालकों का समावेश है, वही 6 वाहक, 2 सहायक, एक यातायात नियंत्रक और एक लिपिक का समावेश है.
कोरोनाकाल में एसटी के 23 कर्मचारियों की आत्महत्या होना चिंताजनक बात है. वेतन, आर्थिक समस्याओं के साथ ही अनेक कारण होने पर भी कर्मचारियों को आत्महत्या के लिए कदम नहीं उठाना चाहिए, यह आवाहन महामंडल की ओर से किया जा रहा है. कर्मचारियों को सर्वतोपरि मदद की जाएगी.
– शेखर चन्ने, व्यवस्थापकीय संचालक, एसटी महामंडल
कामगारों को वेतन समय पर देना यह प्रशासन की जिम्मेदारी है. इस संदर्भ में हमने न्यायालय में जाकर वेतन प्रदान अधिनियम कानून के अनुसार देय तारीख को वेतन दे, ऐसा आदेश प्राप्त किया है. आर्थिक दिक्कतों के कारण कामगारों व्दारा आत्महत्या करते समय फाईल मात्र लालफिता में अटकी है. इस कारण न्यायालय के आदेश का भी अवमान हो रहा है. यह गंभीर बात होकर राज्य शासन व एसटी महामंडल इस बात की दखल लें.
– संदीप शिंदे, अध्यक्ष मान्यताप्राप्त महाराष्ट्र एसटी कामगार संगठना