बेमौसम बारिश व आंधी-तूफान से ग्रीष्मकालिन प्याज व कडधान्य मिट्टीमोल
राज्य में 34,842 हेक्टेअर में फसलों का नुकसान, सर्वाधिक नुकसान अमरावती जिले में ही

अमरावती /दि.27- राज्यभर में मई माह के दौरान हुई बेमौसम व मानसूनपूर्व बारिश के चलते करीब 34 हजार 842 हेक्टेअर क्षेत्र में फसलों का जमकर नुकसान हुआ है और नुकसान का सर्वाधिक फटका अमरावती, जलगांव, नाशिक, जालना, चंद्रपुर, अहिल्या नगर व सोलापुर जिलो पर बैठा है. इसमें भी सबसे अधिक नुकसान अमरावती जिले में 12 हजार 295 हेक्टेअर क्षेत्र में फसलो का हुआ है. साथ ही ग्रीष्मकालिन प्याज, कडधान्य व सागसब्जी सहित आम की फसल मिट्टीमोल हो गई है.
बता दें कि, राज्य में मई माह की शुरुआत से बेमौसम बारिश की शुरुआत हुई. जिसकी वजह से सर्वाधिक नुकसान अमरावती जिले को हुआ है. अमरावती जिले में 12 हजार 295 हेक्टेअर क्षेत्र में फसलो का नुकसान हुआ है. जिसमें अचलपुर, भातकुली, चांदुर बाजार, चिखलदरा, धारणी, अमरावती, वरुड, चांदुर रेलवे, तिवसा व धामणगांव रेलवे तहसील क्षेत्रों में हुए फसलो के नुकसान का समावेश है.
इसके अलावा बारिश की वजह से जलगांव में 4538, बुलढाणा में 4 हजार, नाशिक में 3230, जालना में 1726, सोलापुर में 1252, चंद्रपुर में 1308 व अकोला जिले में 909 हेक्टेअर कृषि क्षेत्र में फसलो का जमकर नुकसान हुआ. इसके साथ ही बेमौसम बारिश की वजह से जुन्नर एवं मराठवाडा परिसर में जुन्नर हापूस व केशर आम की फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. कोंकण में हापूस आम का सीजन खत्म होने के बाद जून माह के अंत में जुन्नर व मराठवाडा से जुन्नर हापूस व केशर आम की बाजार में आवक शुरु होती है. परंतु तेज आंधी-तूफान के साथ हुई बेमौसम बारिश की वजह से दोनों आम की फसलों का जमकर नुकसान हुआ है.
* पंचनामे व भरपाई का काम सुस्त रफ्तार से
मई माह के प्रारंभ में तेज आंधी-तूफान के साथ हुई बेमौसम बारिश और अब हो रही मानसूनपूर्व वर्षा के चलते फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. जिसका सर्वेक्षण करते हुए पंचनामे की कार्रवाई काफी हद तक सुस्त रफ्तार से चल रही है. साथ ही साथ सरकारी नियमों की वजह से नुकसान भरपाई मिलने में भी काफी दिक्कते आ रही है. क्योंकि सरकारी नियमों के मुताबिक इस समय खडी फसलों का नुकसान होने पर भरपाई मिलती है और कटाई पश्चात खेतो में रखी फसल का बारिश में भीगकर नुकसान होने पर कोई मुआवजा नहीं मिलता. चूंकि इस समय कई किसानों ने अपने खेतों में लगी ग्रीष्मकालिन प्याज सहित अन्य कडधान्यों की फसल कटाई के बाद खेतों में ही रखी हुई थी. जो बारिश में भीगकर पूरी तरह से खराब हो चुकी है. जिसका मुआवजा किसानों को मिलना काफी मुश्कील दिखाई दे रहा है.