महाराष्ट्र

शालाएं शुरु, खिचड़ी गायब

पोषण आहार न मिलने से बच्चों की संख्या हुई कम

पुणे./दि.21-कोरोना का प्रादुर्भाव कम होने के बाद राज्य की शालाएं शुरु हुई. लेकिन शालेय पोषण आहार अंतर्गत दी जाने पौष्टिक खिचड़ी अब तक विद्यार्थियों को नहीं मिल रही. इस पर अगस्त 2021 से फरवरी 2022 इन 6 महीनों का अनाज विद्यार्थियों को नहीं मिला है. जिसके चलते ग्रामीण व अतिदुर्गम भागों के अति दुर्बल घटकों के विद्यार्थियों की संख्या स्कूल में कम हुई है. उनकी संख्या बढ़ाने के लिए लगने वाला पोषण मूल्य उन्हें न मिलने का सूर शिक्षा क्षेत्र में सुनाई दे रहा है.
राज्य में मिड डे मिल (मध्यान्ह भोजन) योजना पहली से आठवीं के विद्यार्थियों के लिए 2008-09 में शुरु की गई. केंद्र सरकार पुरस्कृत इस योजना के लिए हजारों रुपए का अनुदान दिया जाता है. स्कूल में कोई भी बच्चा भूखा न रहे, विद्यार्थियों को स्कूल के प्रति रुचि निर्माण हो, इसके लिए यह योजना शुरु की गई. इस योजना में अनाज पकाकर देने का ठेका महिला बचत गट को दिया गया है. कोरोना से पूर्व शालेय पोषण आहार अंतर्गत (मध्यान्ह भोजन) राज्य की सरकारी व अनुदानित शालाओं में कक्षा पहली से आठवीं के बच्चों को पौैष्टिक खिचड़ी बनाकर दी जाती थी. लेकिन कोरोना कालावधि में कक्षा पहली से आठवीं की स्कूल बंद रहने से खिचड़ी की बजाय विद्यार्थियों को हर महीने चावल व अंकुरित अनाज देने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही अगस्त 2021 में अतिरिक्त पोषण मूल्य वाले न्यूट्रिटिव स्लाइस (स्पेशली डिजाइन बिस्कुट) देने बाबत निर्णय लिया गया. लेकिन प्रत्यक्ष में एक महीने के लिए वह विद्यार्थियों को दिया गया. जिसके चलते पहली से आठवीं के विद्यार्थियों को साधारणतः 6 महीने का अनाज नहीं मिला. कोरोना का प्रादुर्भाव कम होने से राज्य की सभी स्कूलें शुरु हो गई है. लेकिन पोषण आहार की खिचड़ी स्कूल में मिलना बंद है. ऐसी स्थिति में राज्य में शालेय पोषण आहार योजना को अमल में न लाये जाने का चित्र है.
ग्रामीण भाग के अनेक गरीब, आदिवासी परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से उस परिवार के बच्चे शालेय पोषण आहार के निमित्त स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते हैं. जिससे उनमें पढ़ाई में रुचि निर्माण होती है. साधारणतः दो वर्षों से स्कूल में मिलने वाली खिचड़ी बंद है. 6 महीने से अनाज नहीं मिला. जिसके चलते शालेय पोषण आहार निमित्त स्कूल में नियमित आने वाले बच्चे, स्कूल शुरु होने के बाद भी न आने का चित्र है. अनाज कब मिलेगा, इस बारे में शिक्षकों व मुख्याधिकारी को जानकारी नहीं, तो शिक्षण विभाग की ओर से तारीख पर तारीख दी जाती है. ऐसी स्थिति में बच्चे फिर से स्कूल में आये, इसके लिए आठ महीने का अनाज दिया जाये, शाला शुरु होने के कारण अब शालेय पोषण आहार अंतर्गत पौष्टिक खिचड़ी तैयार कर स्कूल में ही दी जाये, ऐसी मांग शिक्षकों द्वारा की जा रही है.
योजना बाबत...
कक्षा पहली से पांचवीं
– चावल हर रोज प्रति विद्यार्थी : 100 ग्राम
– मूंग दाल : 25 ग्राम
– चना : 28 ग्राम
* कक्षा 6 वीं से 8 वीं
– चावल हर रोज प्रति विद्यार्थी : 150 ग्राम
– मूंग दाल : 40 ग्राम
– चना : 40 ग्राम

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