मराठी बोर्ड को लेकर तपी राजनीति
श्रेय के साथ ही समर्थन व विरोध को लेकर शुरू हुई बयानबाजी
मुंबई/दि.13- गत रोज राज्य मंत्रिमंडल द्वारा राज्य में सभी छोटे-बडे दुकानों व आस्थापनाओें के दर्शनी फलक यानी बोर्ड मराठी भाषा में ही अनिवार्य तौर पर लिखे जाने के संदर्भ में निर्णय जारी किया था. इसके साथ ही अब राज्य की राजनीति काफी हद तक तपने लगी है. जहां एक ओर इस फैसले के समर्थन व विरोध में आवाजें उठने लगी है. वहीं इस फैसले को लेकर शिवसेना व मनसे के बीच श्रेयवाद की लडाई भी शुरू हो गई है. जिसके तहत जहां एक ओर शिवसेना सांसद व प्रवक्ता संजय राउत ने सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए इसे एक शानदार निर्णय बताया. वहीं मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस फैसले के लिए राज्य की महाविकास आघाडी सरकार का अभिनंदन करते हुए कहा कि, यह मनसे सैनिकों के संघर्ष की सफलता है. अत: किसी और ने इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए.
उधर व्यापारी संगठनों द्वारा सरकार के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी गई है और इस फैसले को व्यापारियों के निजी अधिकारों पर आघात बताया है. साथ ही एमआईएम ने इस फैसले की कुछ हद तक खिल्ली उडाई है.
* आपको मुंबई में रहना है और यहां व्यापार भी करना है
शिवसेना सांसद संजय राउत ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करने के साथ ही इसके विरोध में आवाज उठानेवाले व्यापारियों को लगभग धमकानेवाले अंदाज में कहा है कि, आपको महाराष्ट्र और मुंबई में रहना है और यहीं पर अपना व्यापार-व्यवसाय भी करना है, यह मत भूलो. यह कोई व्यक्तिगत या राजनीतिक मसला नहीं है, बल्कि यह मराठी अस्मिता से जुडा मामला है. जिसका सभी ने स्वागत करना चाहिए.
* यहां केवल मराठी ही चलेगी, यह मनसे की जीत है
वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने इस मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले के लिए महाविकास आघाडी सरकार का अभिनंदन किया है. साथ ही कहा है कि, मराठी के साथ बोर्ड पर अन्य भाषा भी चलने की झंझट में सरकार ने पडना ही नहीं था, क्योेंकि महाराष्ट्र में केवल मराठी भाषा ही चलेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, इसका पूरा श्रेय खुद पर मुकदमे दर्ज करानेवाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सैनिकों को जाता है. अत: किसी ने भी इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए.
बॉक्स, फोटो इम्तियाज जलील
मराठी बोर्ड लगाने से मराठी युवाओं को नौकरी मिलेगी क्या?
उधर औरंगाबाद के सांसद व एमआईएम के प्रदेशाध्यक्ष इम्तियाज जलील ने कहा कि, जब-जब चुनाव नजदिक आते है, केवल उसी समय कुछ लोगों को मराठी बोर्ड, मराठी अस्मिता तथा कर्नाटक सीमा विवाद की याद आती है. लेकिन लोग इतने मूर्ख भी नहीं है कि, उन्हें ये सारी नौटंकी समझ में न आये. सांसद इम्तियाज जलील ने राज्य सरकार के फैसले की खिल्ली उडाते हुए कहा कि, राज्य की सभी दुकानों पर मराठी बोर्ड लगाकर मराठी युवाओें को नौकरियां दी जायेगी क्या, यह 1 मिलीयन डॉलर का सवाल है.
* दुकान का बोर्ड कैसा हो, यह हम तय करेंगे
उधर राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिये गये फैसले के खिलाफ मुंबई के ही व्यापारियों की ओर से विरोध किया जाने लगा है और फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेअर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेन शाह ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि, मुंबई एक कॉस्मोपोलीटन शहर है. ऐसे में दुकान के बोर्ड पर दुकान का नाम लिखते समय किस भाषा का प्रयोग किया जाये, यह व्यापारियों का अपना अधिकार है. अत: राज्य सरकार ने दुकानदारों को अपनी वोट बैंक पॉलीटिक्स से दूर रखना चाहिए. वीरेन शाह के मुताबिक सभी व्यापारी अपनी दुकानों पर मराठी अक्षरोंवाले बोर्ड भी लगायेंगे, किंतु बडे अक्षरों में मराठी के ही बोर्ड की अनिवार्यता न की जाये.