महाराष्ट्र

मुंबई पुलिस और राज्य सरकार की छवि खराब करने की कोशिश

शिवेसना ने किया दावा

  • सुशांत की आत्महत्या पाताल में दबी एक गुत्थी

मुंबई/दि.२०– सुशांत सिंह राजपूत मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया है. इसके बाद मामले की जांच सीबीआई की टीम करने में जुट गयी है. इसी मामले को लेकर शिवसेना ने का दावा किया है कि सुशांत केस का राजनीतिकरण केवल मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश है. शिवसेना ने कहा कि सुशांत की आत्महत्या पाताल में दबी एक गुत्थी है और यह गुत्थी सिर्फ सीबीआई सुलझा पाएगी, यह एक भ्रम है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र से सवाल उठाया कि यदि पटना में दर्ज प्राथमिकी सही थी, तो क्या यदि इस मामले के वे अन्य लोग जो दूसरे राज्यों से हैं, पश्चिम बंगाल में प्राथमिकी दर्ज कराएं, तो क्या कोलकाता पुलिस को जांच का अधिकार मिल जाएगा?
संपादकीय में लिखा है, सुशांत ने आत्महत्या क्यों की? इसका रहस्य जानने में पुलिस जुटी हुई है लेकिन यह रहस्य पाताल में दबी एक गुत्थी है, वह गुत्थी सिर्फ बिहार की पुलिस या सीबीआई ही ढूंढ पाएगी, यह एक प्रकार का भ्रम है.
बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे पर भी तंज कसते हुए कहा गया कि सीबीआई को मामला सौंपने की घोषणा होते ही बिहार पुलिस के महासंचालक गुप्तेश्वर पांडे अति आनंदित होकर बाहर और कहा, ये न्याय की अन्याय पर जीत है. पांडे बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़के चुके है. उन्होंने बीजेपी का झंडा हाथ में लेकर पत्रकारों से बात नहीं की, बस इतना ही बाकी रह गया था.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा कि सुप्रीम कोर्ट में सुशांत का मामला कम के कम डबल बेंच के सामने चलाया जाना चाहिए था, ऐसी अपेक्षा थी. मुखपत्र में लिखा गया है कि बिहार में ब्रह्मेश्वर मुखिया, मुजफ्फरपुर का नवरुणा हत्याकांड, सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले भी सीबीआई को सौंपे गए. उनमें से किसी भी गुनाहकार को पकड़ा नहीं जा सका.
मुखपत्र में लिखा है, न्याय और कानून क्या है, कोई यह महाराष्ट्र को न सिखाए. सुशांत मामले की जांच निष्पक्षता से होनी चाहिए. सर्वोच्च अदालत के निर्णय का अनादर करने का सवाल नहीं उठता लेकिन कानून के शासन को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा होगा तो उन्हें रोकना ही होगा. पार्टी ने अपने मुखपत्र में कहा कि यह चकित करने वाला है कि अदालत को मुंबई पुलिस की जांच में कुछ भी गलत नहीं मिला इसके बाद भी मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया.

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