महाराष्ट्र

ठाकरे सरकार ने 16 माह में प्रचार पर खर्च किए 155 करोड रुपए

आरटीआई के जरिए खुलासा, सोशल मीडिया पर खर्च की जा रही मोटी रकम पर उठे सवाल

मुंबई /दि.५ – राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार हर माह प्रचार अभियानों में करीब दस करोड रुपए खर्च कर रही है. पिछले 16 महीनों में महाविकास आघाडी सरकार प्रचार अभियानों पर 155 करोड रुपए खर्च ेकर चुकी है. सरकार सोशल मीडिया के जरिए भी अपनी बात आम लोगों तक पहुंचाने मेें कोई कसर नहीं छोड रही है. प्रचार के इस माध्यम पर 5.99 करोड रुपए खर्च किए गए हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना एंव जनसंपर्क महानिदेशालय से महाविकास आघाडी सरकार के प्रचार अभियान पर हुए खर्च से जुडी जानकारी मांगी थी. सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय ने गलगली को 11 दिसंबर 2019 से 12 मार्च 2021 तक के खर्च की जानकारी दी है. सरकार ने साल 2019 के 20 दिन में प्रचार पर 20.31 करोड रुपए खर्च किए. इनमें से 19.92 करोड रुपए नियमित टीकाकरण अभियान पर खर्च किए गए. वहीं साल 2020 में 26 विभागों के प्रचार अभियार पर कुल 104 करोड 55 लाख रुपए खर्च हुए. इनमें से महिला दिवस के मौके पर प्रचार-प्रसार के लिए 5.96 करोड रुपए खर्च किए गए. पदम विभाग के प्रचार पर 9.99 करोड रुपए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पर 19.92 करोड, 4 चरणों में विशेष प्रचार अभियान पर 22.65 करोड खर्च किए गए हैं. इसमें 1.15 करोड रुपए सोशल मीडिया के जरिए प्रचार पर खर्च किए गए. महाराष्ट्र शहरी विकास मिशन पर तीन चरणों में 6.49 करोड रुपए खर्च किए गए हैं. आपदा प्रबंधन विभाग ने चक्रवात पर 9.42 करोड रुपए खर्च किए हैं, जिसमें से 2.25 करोड रुपए सोशल मीडिया पर खर्च किए गए है.
राज्य के स्वास्थ्य शिक्षा विभाग ने 18.63 करोड रुपए खर्च किए हैं. शिवभोजन के प्रचार के लिए कुल 20 लाख 65 हजार रुपए खर्च किए गए जिसमें से 5 लाख रुपए सोशल मीडिया के जरिए प्रचार पर खर्च हुए. साल 2021 में 12 मार्च तक सरकार के 12 विभागों ने 29.79 करोड रुपए खर्च किए. राज्य के स्वास्थ्य शिक्षा विभाग ने प्रचार पर 15.94 करोड रुपए खर्च किए हैं. जलजीवन मिशन के प्रचार अभियान पर 1.88 करोड रुपए खर्च किए गए हैं. महिला एवं बाल विकास ने प्रचार पर 2.45 करोड रुपए खर्च किए जिसमें से 20 लाख रुपए सोशल मीडिया पर खर्च किए हैं. अल्पसंख्यक विभाग ने प्रचार में इस्तेमाल हुए 50 लाख रुपए में से 48 लाख रुपए सोशल मीडिया पर खर्च किए हैं. जन स्वास्थ्य विभाग ने 3.15 करोड रुपए खर्च किए हैं. इसमें 75 लाख का खर्चा सोशल मीडिया पर बताया है.

  • संदिग्ध है सोशल मीडिया का खर्च

अनिल गलगली के मुताबिक प्रचार पर खर्च का आंकडा और अधिक हो सकता है क्योंकि सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के पास शत-प्रतिशत जानकारी नहीं है. सोशल मीडिया के नाम पर किया जाने वाला खर्च संदिग्ध है. इसके अलावा क्रिएटिव के नाम से दिखाए जाने वाले खर्च की गणना कई तरह की शंकाओं को जन्म दे रही है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में अनिल गलगली ने मांग की है कि, सरकार विभागीय स्तर पर होने वाले खर्च का ब्योरा और लाभार्थी का नाम वेबसाइट पर अपलोड करें.

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