अमरावतीमहाराष्ट्र

‘उस’ बच्चे की आर्टिरियल स्वीच शल्यक्रिया रही सफल

गर्म सलाख से दागे जाने की वजह से हुई थी स्थिति गंभीर

* नागपुर के निजी अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती, अब स्थिति में सुधार
अमरावती /दि. 13– आदिवासी बहुल मेलघाट के अतिदुर्गम क्षेत्र में जन्मे महज 22 दिन की आयु वाले बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने की वजह से उसे उसकी ही मां ने अंधश्रद्धा के चलते गर्म सलाख के कई बार दागा था. यह घटना विगत 25 फरवरी को उजागर हुई थी और इस घटना की वजह से वह बच्च गंभीर स्थिति में पहुंच गया था. जिसके चलते इस बच्चे को इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां पर स्वास्थ जांच के दौरान पता चला कि, इस बच्चे को हृदय से संबंधित ‘टिजीए’ नामक बेहद गंभीर बीमारी है. इस बात की जानकारी मिलते ही जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने अपनी ओर से पहल करते हुए इस बच्चे को ग्रीन कॉरिडोर के तहत नागपुर रेफर किया था. जहां विगत 8 मार्च को इस बच्चे पर आर्टिरियल स्वीच शल्यक्रिया की गई. जो पूरी तरह से सफल भी रही. इसके चलते अब इस बच्चे के स्वास्थ में सुधार होता बताया जा रहा है.
बता दें कि, चिखलदरा तहसील के हतरु प्राथमिक स्वास्थ केंद्र अंतर्गत आनेवाले सिमोरी गांव की फुलवंती राजू धिकार नामक महिला ने 3 फरवरी को अचलपुर के उपजिला अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था. जिसे पैदायसी तौर पर सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. जिसके चलते बच्चे की मां फुलवंती धिकार ने ही अपनी अंधश्रद्धा के वशीभूत होकर महज कुछ दिन पहले जन्मे अपने नवजात बच्चे को गर्म सलाख से चटके देते हुए डम्मा नामक अघोरी पद्धति से उसका इलाज किया था. परंतु बच्चे की तबियत सुधरने की बजाए और भी अधिक बिगड गई. जिसके चलते इस बच्चे को 24 फरवरी की रात जिला स्त्री अस्पताल में रेफर किया गया था. जहां पर बच्चे को सांस लेने में होनेवाली तकलीफ को देखते हुए उसका 2-डी इको किया गया तो पता चला कि, बच्चे को हृदय से संबंधित टिजीए यानी ट्रांस पोजिशन ऑफ द ग्रेट आर्टरिज नामक बेहद दुर्लभ एवं प्राणघातक तकलीफ है. जिसकी तुरंत ही समय रहते शल्यक्रिया करना जरुरी रहने के चलते इस बच्चे को 26 फरवरी को अमरावती से नागपुर तक ग्रीन कॉरिडोर साकार करते हुए नागपुर के नेल्सन हॉस्पीटल में रेफर किया गया था. जहां पर बच्चे की प्रकृति स्थिर होने के बाद 8 मार्च को उस पर आर्टिरियल स्वीच शल्यक्रिया सफलतापूर्वक की गई. यह ऑपरेशन कार्डीयाक सर्जन डॉ. सचिन कुथे व एनेस्थेसीस्ट डॉ. विनय कुलकर्णी द्वारा किया गया. इसके बाद बच्चे की स्थिति में काफी हद तक सुधार बताया जा रहा है.

* गर्म सलाख से दागे गए बच्चे जिला स्त्री अस्पताल में स्वास्थ जांच किए जाने पर उसे टिजीए नामक गंभीर बीमारी रहने की बात ध्यान में आई थी. जिसके चलते उसे तत्काल नागपुर रेफर किया गया था. जहां विगत 8 मार्च को इस बच्चे की आर्टिरियल स्वीच शल्यक्रिया सफलतापूर्वक की गई और अब इस बच्चे के स्वास्थ में सुधार होने की बात शल्यक्रिया करनेवाले डॉक्टरों द्वारा बताई गई है.
– डॉ. अमोल फाले
बालरोग विशेषज्ञ, डफरिन अस्पताल.

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