देश में संविधान की सर्वोच्च, उसी अनुसार एकजुट होकर काम करों
सीजेआई भूषण गवई का प्रतिपादन

मुंबई /दि.19– देश में विधि मंडल कार्यपालिका व न्याय पालिका से भी उपर देश का संविधान सर्वोच्च है और उसके अनुसार ही लोकतंत्र के तीनों स्तंभो ने एकजुट होकर काम करना चाहिए. यद्यपि संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, परंतु संसद ही संविधान की मूलभूत रचना को स्पर्श नहीं कर सकती, इस आशय का प्रतिपादन देश के नवनियुक्त मुख्य न्यायमूर्ति भूषण गवई द्वारा किया गया.
गत रोज बार कौन्सिल महाराष्ट्र व गोवा द्वारा आयोजित सत्कार समारोह में नवनियुक्त सीजेआई भूषण गवई अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. इस अवसर पर न्या. भूषण गवई के 50 महत्वपूर्ण निर्णयों की समीक्षा करनेवाली एक किताब का भी प्रकाशन किया गया. इस समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, अभय ओक, दिपांकर दत्ता व प्रसन्ना वराले तथा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति आलोक आराध्ये भी उपस्थित थे. संविधान को अस्तित्व में आए 75 वर्ष पूर्ण होते समय देश के मुख्य न्यायमूर्ति बनने का सम्मान मिलने पर विशेष आनंद होने की बात कहते हुए नवनियुक्त सीजेआई भूषण गवई ने कहा कि, निवास यानि घर यह प्रत्येक व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है. ऐसे में यदि किसी व्यक्ति का कोई अपराधिक मामला दर्ज हुआ है या उसे दोषी ठहराया गया है, तो भी उस स्थिति में उसके परिवार के घर को किसी के भी द्वारा छीना नहीं जा सकता. अत: कार्रवाई के नाम किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता. इसके साथ ही न्या. भूषण गवई ने यह भी कहा कि, उन्होंने हाल ही में मणिपुर राज्य का दौरा किया था और वहां आपस में संघर्ष करनेवाले दोनों समुदायों को आश्वस्त किया था कि, देश उनके साथ है और न्याय उनके दरवाजे पर खडा है. अत: उन्होंने देश की न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा रखना चाहिए तथा इसका लाभ लेना चाहिए. सीजेआई भूषण गवई के मुताबिक उन्हें यह काम करने का अवसर मिला, इसे वे अपना सौभाग्य मानते है.
ज्ञात रहे कि, आगामी नवंबर माह में सीजेआई भूषण गवई के सेवानिवृत्त होने के उपरांत न्या. सूर्यकांत देश के मुख्य न्यायमूर्ति बननेवाले है. जो इस सत्कार समारोह में उपस्थित भी थे. इस समय न्या. सूर्यकांत ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, महाराष्ट्र व गोवा की बार कौन्सिल द्वारा नागरी कानूनों व फौजदारी कानूनों विशेष तौर पर संविधान वाद, संविधान की नीतिमत्ता व मूलभूत संरचना के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है.
* पिता को याद कर भावुक हुए सीजेआई गवई
इस सत्कार समारोह में नवनियुक्त सीजेआई भूषण गवई ने अमरावती से निकलकर नागपुर व मुंबई होते हुए दिल्ली तक पहुंचने की अपनी यात्रा को भी उपस्थितों के साथ साझा किया. इस समय सीजेआई गवई ने का कि, वे अमरावती में नगर परिषद की शाला क्रमांक 8 में पढा करते थे और आगे चलकर आर्कीटेक्ट बनना चाहते थे. परंतु पिता की वकील बनने की इच्छा अधूरी रह गई थी. ऐसे में उनके पिता ने उन्हें वकालत के क्षेत्र में जाने कहा और वे पिता के आदेश का पालन करते हुए इस क्षेत्र में आ गए. इस समय न्या. भूषण गवई अपने पिता को याद करते हुए बेहद भावुक हो गए तथा उन्होंने कहा कि, यदि आज उनके पिता जीवित रहे होते तो उन्हें निश्चित तौर पर अपने बेटे की इस उपलब्धि पर काफी खुशी हुई होती. न्या. भूषण गवई के इस कथन को सुनकर सत्कार समारोह में उपस्थित उनकी मां पूर्व लेडी गवर्नर प्रा. कमलताई गवई की आंखे भी भर आई और सभागार में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति भावुक होता दिखाई दिया.
* सीजेआई गवई ने प्रोटोकॉल की दिलाई याद
उल्लेखनीय है कि, देश के मुख्य न्यायमूर्ति पद पर विराजमान होने के उपरांत पहली बार अपने गृह राज्य के दौरे पर मुंबई पहुंचे न्या. भूषण गवई का स्वागत करने हेतु राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महासंचालक व मुंबई के पुलिस आयुक्त उपस्थित नहीं थे. जबकि प्रोटोकॉल के अनुसार इन तीनों अधिकारियों का सीजेआई गवई के स्वागत हेतु उपस्थित रहना अनिवार्य था. इस बात को लेकर सीजेआई गवई ने बार कौन्सिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा की ओर से आयोजित सत्कार समारोह में कुछ हद तक अपनी नाराजगी जताई. साथ ही कहा कि, वे ऐसी छोटी-मोटी बातों में फंसना नहीं चाहते और प्रोटोकॉल की झंझट में भी नहीं अटकते. परंतु सभी लोगों को इस बात की जानकारी हो, इसलिए इस बात का उल्लेख कर रहे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, यदि उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति होता, तो निश्चित तौर पर संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग जरुर करता. क्योंकि इन अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय किसी भी व्यक्ति को अदालत उपस्थित रहने का आदेश दे सकता है.
* चैत्य भूमि को सीजेआई गवई ने दी भेंट
देश के मुख्य न्यायमूर्ति पद का जिम्मा संभालने के उपरांत गत रोज पहली बार महाराष्ट्र के दौरे पर मुंबई पहुंचे सीजेआई भूषण गवई ने चैत्य भूमि पर भेंट देते हुए भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरी की स्मृतियों का अभिवादन किया. विशेष उल्लेखनीय रहा कि, इस समय राज्य के मुख्य सचिव सुजाता सौनिक व पुलिस महासंचालक रश्मी शुक्ला सहित मुंबई के पुलिस आयुक्त देवेन भारती भी उपस्थित थे तथा तीनों अधिकारियों ने सीजेआई गवई द्वारा व्यक्त की गई नाराजगी को दूर करने का भी प्रयास किया. इस समय सीजेआई गवई ने कहा कि, जो कुछ हुआ, उन्होंने केवल उसका उल्लेख किया तथा उनकी प्रोटोकॉल को लेकर किसी के साथ कोई नाराजगी नहीं है.