पतसंस्थाओं के डूबने हेतु सहकार विभाग भी जिम्मेदार
राज्य पतसंस्था फेडरेशन अध्यक्ष काका कोयटे का कथन

अहिल्या नगर /दि. 5 – राज्य की पतसंस्थाओं के दिक्कत में आकर निवेशकों का नुकसान होने के लिए पतसंस्थाओं के साथ ही राज्य का सहकार विभाग भी जिम्मेदार है. पतसंस्थाओं का नियंत्रण यदि राज्य पतसंस्था फेडरेशन के पास दिया जाता तो हम एक भी पतसंस्था को डूबने नहीं देंगे, ऐसा हमने इससे पहले करीब एक हजार बार कहा है. लेकिन सहकार विभाग खुद कुछ करता नहीं है और हमें अधिकार भी देता नहीं है, इस आशय का प्रतिपादन राज्य पतसंस्था फेडरेशन के अध्यक्ष काका कोयटे द्वारा किया गया.
बता दें कि, राज्य में 2008 पतसंस्थाओं की ‘पत’ चले जाने तथा लाखों निवेशकों के करोडों रुपए ऐसी पतसंस्थाओं में अटके रहने की खबर दो दिन पहले ही सामने आई थी. जिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पतसंस्था फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष काका कोयटे ने कहा कि, पतसंस्थाओं के डूबने के लिए एक हद तक सहकार विभाग भी जिम्मेदार है. यदि राज्य के सहकार विभाग द्वारा फेडरेशन को कानूनी अधिकार दिए जाते है, तो फेडरेशन एक भी पतसंस्था को डूबने नहीं देगा.
* क्यों चाहिए कानूनी अधिकार
– राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा कर्जधारक के सिबील स्कोर को देखा जाता है. जो पतसंस्थाओं के लिए लागू नहीं है. ऐसे में पतसंस्था फेडरेशन ने ‘क्रॉस’ नामक प्रणाली को अस्तित्व में लाया है. जिसके जरिए यह समझ में आता है कि, कर्ज हेतु आवेदन करनेवाले व्यक्ति पर पहले से और किस संस्था का कर्ज है.
– कुछ कर्जधारक नकली सोना गिरवी रखकर सोने तारण कर्ज लेते है. ऐसे में गिरवी रखे जानेवाले सोने की जांच करने की प्रणाली भी फेडरेशन के पास है.
– इन बातों को सभी पतसंस्थाओं के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए. साथ ही रिझर्व बैंक की तरह सहकार विभाग में भी प्रत्येक तीन माह में पतसंस्थाओं की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि घोटालों को रोका जा सके.
– परंतु ऐसा करने के लिए सहकार विभाग के पास आवश्यक मनुष्यबल भी उपलब्ध नहीं है. वहीं फेडरेशन पर्यवेक्षण करने का काम करने हेतु तैयार है. खास बात यह है कि, दुनिया के कई देशो में फेडरेशन के पास ही ऐसे अधिकार होते है.