महाराष्ट्र

पेडो पर जगमगाहट को न्यायालय ने लिया गंभीरता से

पर्यावरण संस्था के रोहीत जोशी की जनहित याचिका

मुंबई/दि.12– वर्तमान में मुंबई, ठाणे सहित मुंबई महानगर के पेडों पर की जानेवाली रोशनाई की सजावट प्रकाश प्रदूषण करनेवाली है. यह पक्षी और अन्य किटको के लिए हानिकारक साबित रहने की बात जनहित याचिका के माध्यम से बुधवार को उच्च न्यायालय में प्रकाश में लाई गई. न्यायालय ने इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार सहित मुंबई, ठाणे और मीरा-भाईंदर मनपा को नोटिस दी है. यह जनहित याचिका पर्यावरण संस्था के रोहीत जोशी ने दायर की है.

याचिका में व्यापक जनहित का मुद्दा उपस्थित किया गया है, ऐसा भी मुख्य न्यायमूर्ति देवेंद्रकुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित मुंबई, ठाणे और मीरा-भाईंदर मनपा के वृक्ष प्राधिकरण को सूचित करते हुए चार सप्ताह में भूमिका स्पष्ट करने के आदेश दिए है. ठाणे स्थित येऊर पर्यावरण संस्था के संस्थापक रोहित जोशी ने एड. रोनिता भट्टाचार्य के जरिए यह जनहित याचिका दायर की है. पेडों पर रोशनाई की सजावट प्रकाश, प्रदूषण और पक्षीयों के जीवन पर विपरित परिणाम करते रहने की तरफ इस याचिका में ध्यान केंद्रित किया गया है. साथ ही इस समस्या पर हल के रुप में और पेडों का संरक्षण करने के लिए महाराष्ट्र (शहरी क्षेत्र) वृक्ष संरक्षण और संवर्धन कानून पर कडाई से अमल करने की मांग की है. नवंबर 2023 से मुंबई-ठाणे के अनेक पेडो पर रोशनाई के सजावट की जा रही है. इसके लिए उच्चदाब के बिजली के तार पेडो पर लपेटे गए है. इन रोशनाई की सजावट का पेडो पर और उस पर अधिवास करनेवाले पक्षी-किटको पर होता रहने से इस बाबत की जानकारी मुंबई, ठाणे और मीरा-भाईंदर मनपा के संबंधित विभाग के अधिकारियों को नोटिस देकर दी गई थी. लेकिन इसे किसी भी मनपा द्वारा प्रतिसाद न दिए जाने से याचिका दाखिल किए जाने की जानकारी याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय को दी गई.

* रोशनी का पक्षियों को खतरा?
पर्यावरण में चिंता बढानेवाला प्रकाश प्रदूषण का अभ्यास करनेवाला लेख प्रकाशित हुआ था. उसके मुताबिक आर्टीफिशियल लाईटस् इन नाईटस् यानी रात के समय पेडो पर की जानेवाली रोशनी की सजावट के कारण वनस्पती के नैसर्गिक चक्र पर गंभीर परिणाम होता है. पक्षियों के अधिवास को हानी पहुंचती है. उनकी आंखो पर भी परिणाम होता है. सांप, बिच्छू जैसे प्राणियों के नैसर्गिक चक्र पर भी परिणाम होता रहने की बात इस अभ्यास से स्पष्ट होने की जानकारी याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय को दी गई. अंधेरा यह वनस्पति को प्रकाश संश्लेषण कार्यक्षमता से करने के लिए आवश्यक रहने की बात लेख में दर्ज की गई थी. इस ओर भी याचिकाकर्ता ने न्यायालय का ध्यान केंद्रित किया.

* पेडो को जानबुझकर तकलिफ?
– वनस्पतिशास्त्र विभाग, स्कूल ऑफ लाईफ सायंसेस, गुरु घसीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर में प्रकाशित किए लेख का भी याचिका में समावेश किया गया है.
– प्रकाश प्रदूषण का विविध पेड, वनस्पति के प्रकाश संश्लेषण पर परिणाम होता है. पेड लगातार प्रकाश के संपर्क में आते है तब उनके प्रकाश संश्लेषण कार्यक्षमता में बदलाव होता रहने की बात अभ्यास से उजागर हुई है.
– वृक्ष कानून की धारा 2 (क) में पेडो को जानबुझकर चोट पहुंचाना यानी उसे खतरा पहुंचाने जैसाही है, यह बात याचिकाकर्ता ने न्यायालय के प्रकाश में ला दी है.

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