महाराष्ट्र

विदर्भ विकास मंडल की समयावृद्धि की मांग चार साल से ठंडे बस्ते में

हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

नागपुर/दि.27-संवैधानिक मान्यता रहने वाले विदर्भ विकास मंडल को समयावधि बढाकर देने की मांग पिछले चार साल से ठंडे बस्ते में रखने पर केंद्र सरकार को मुंबई हाई कोर्ट के नागपुर बेंच ने बुधवार को फटकार लगाई. कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकारने से आगामी 3 जुलाई को मामले की गुणवत्ता पर सुनवाई ली जाएगी, ऐसा घोषित किया गया.

न्यायमूर्तिद्वय नितिन सांबरे और अभय मंत्री के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई. विदर्भ विकास मंडल की अवधि 30 अप्रैल 2020 को समाप्त हुई है. इसी बीच, मंउल को समयावधि बढाकर मिलने के लिए राज्य सरकार ने 2022 को केंद्र सरकार को प्रस्ताव पेश किया है. तथा समय समय पर स्मरणपत्र भी भेजा है. किंतु केंद्र सरकार ने समयावृद्धि पर अब तक भूमिका स्पष्ट नहीं की. इसके पूर्व न्यायालय ने अंतिम मौका देने के बाद केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इस प्रस्ताव पर फैसला नहीं लिया जा सकता, ऐसा स्पष्टीकरण दिया था. उस समय भी कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी.

* उन्नति के लिए विकास मंडल आवश्यक
राष्ट्रपति ने आर्टिकल 371 2 के अधिकार अनुसार विदर्भ, मराठवाडा व उर्वरित महाराष्ट्र के लिए विकास मंडल स्थापित करने के लिए राज्यपाल को सर्वप्रथम 1994 में जिम्मेदारी दी थी. इस संदर्भ में 1 मार्च 1994 को आदेश जारी किया गया था. आगे विकास मंडल की अवधि समय-समय पर बढाई गई. विदर्भ विकास मंडल की अंतिम समयावधि 30 अप्रैल 2020 तक थी. इसके बाद अवधि नहीं बढाई गई. परिणामस्वरूप मंडल का अस्तित्व समात हुआ. विदर्भ की उन्नति के लिए विकास मंडल आवश्यक है, ऐसा यचिकाकर्ता का कहना है.

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