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पूरा नहीं हो पा रहा उर्जामंत्री का आश्वासन
मुंबई/दि.15 – लॉकडाउन के दौरान बढे हुए बिजली बिल से परेशान उपभोक्ताओं को राहत देने के उर्जा विभाग के फैसले पर वित्तविभाग पानी फेरने में जुटा है. इससे सरकारी खजाने पर करीब एक हजार करोड रुपए का भार पडेगा. वित्त विभाग यह राशि देने को तैयार नहीं हो रहा है, जिससे उर्जा मंत्री नितीन राउत का आश्वासन पूरा नहीं हो पा रहा है.
दरअसल लॉकडाउन के दौरान लोगों को औसत बिजली बिल भेजे गए. इसको लेकर लोगों में भारी नाराजगी है. इसके खिलाफ राज्य कई इलाकों में आंदोलन भी हो चुके है. इसलिए कांग्रेस कोटे वाले उर्जा विभाग में मंत्री डॉ. नितीन राउत ने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए एक योजना तैयार की. इसे मंजूरी के लिए महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) को भी भेजा जा चुका है. शुरुआत में वित्त विभाग राहत देने के लिए तैयार था, लेकिन अब राकांपा नेता अजित पवार का वित्त विभाग एक हजार करोड खर्च करने को लेकर आनाकानी कर रहा है. बिजली विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कि माने तो हम वित्त विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय से लगातार संपर्क में है. बातचीत जारी है. उन्हें उम्मीद है कि, वे बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने में कामयाब होंगे. दूसरी तरफ उर्जा मंत्री को बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने का आश्वासन दिए काफी समय बीत गया है. पिछल महीने ही यह प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल में पेश किया जाना था. लेकिन फिलहाल मामला ठंढे बस्ते में चला गया है और मंत्री के आश्वासन के बावजूद बिल न भरने पर कई जगहों पर बिजली कनेक्शन काट दिए गए. राहत पैकेज को लेकर उर्जा मंत्री डॉ. राउत ने पिछले दिनों वित्त मंत्री अजित पवार के साथ बैठक भी की थी.
कांग्रेस-राकांपा में श्रेय की लडाई
साथ में सरकार चला रहे कांग्रेस-राकांपा के बीच खिंचतान कोई नई बात नहीं है पर ठाकरे सरकार में राकांपा सब पर भारी पड रही है. समझा जा रहा है कि, राकांपा बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने का श्रेय कांग्रेस को लेते नहीं देखना चाहती. कांग्रेस के नेता बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने की बात जोरशोर से प्रचारित कर रहे पर अभी तक राहत नहीं मिल सकी है.
यह है बिजली विभाग की योजना
कोरोना संकट से परेशान घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए उर्जा विभाग द्बारा तैयार प्रस्ताव के अनुसार 2019 के अप्रैल, मई व जून के बिजली बिल के बराबर ही अप्रैल, मई व जून 2020 का बिजली बिल वसूला जाए. बढे बिजली बिल का भार सरकार वहन करेगी. 100 यूनिट तक अधिक बिजली बिल का भार सरकार वहन करेगी पर 101 से 300 यूनिट ज्यादा बिजली बिल होने पर 50 हिस्सा ही राज्य सरकार वहन करेगी, जबकि 301 से 500 यूनिट तक फर्क होने पर 25 फीसदी भार राज्य सरकार वहन करेगी. जिन्होंने बिजली बिल जमा कर दिया है. उन्हें अगले बिजली बिल में इसका लाभ मिल सकेगा.