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शिंदे मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार का फार्म्युला हुआ तय

शिंदे गुट से चार व भाजपा से चार नये मंत्री बनेंगे

* शिंदे गुट के सात नामों की चल रही चर्चा
* पूर्व राज्यमंत्री व विधायक बच्चु कडू का नाम भी रेस में
मुंबई/दि.27- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली सरकार के मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार जल्द ही होने के संकेत मिल रहे है और अनुमान है कि, शीतसत्र से पहले ही मंत्रिमंडल के विस्तार का मुहूर्त निकल आयेगा. जिसके लिए शिंदे गुट और भाजपा के बीच मंत्री पदों के बंटवारे का फार्म्यूला भी तय हो चुका है. पता चला है कि, इस बार के विस्तार में आठ नये मंत्री बनाये जायेंगे. जिसमें शिंदे गुट को चार और भाजपा को चार मंत्री पद मिलेंगे. ऐसे में अब इस बात को लेकर चर्चा और उत्सूकता तेज हो गई है कि, दोनों ओर से मंत्री पद के लिए अपने किन-किन विधायकों के नामों को आगे बढाया जाता है.
जानकारी के मुताबिक उध्दव ठाकरे सरकार में राज्यमंत्री पद का जिम्मा संभाल चुके और शिंदे सरकार में मंत्री पद मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे निर्दलिय विधायक बच्चु कडू को इस बार मंत्री पद मिलना लगभग तय है. पिछली बार मंत्री पद नहीं मिलने के चलते पूर्व राज्यमंत्री बच्चु कडू अच्छे-खासे नाराज व संतप्त भी हुए थे. चूंकि शिंदे गुट द्वारा शिवसेना में की गई बगावत के समय बच्चु कडू ने 10 से अधिक निर्दलिय विधायकों के गुट का नेतृत्व करते हुए गुवाहाटी जाकर शिंदे गुट का समर्थन किया था. ऐसे में उन्हें मंत्री पद मिलना पहले से ही तय माना जा रहा था. लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है. वही दूसरी ओर पहले विस्तार में अवसर चूक गये शिंदे गुट के विधायक संजय शिरसाट को भी इस बार मंत्री पद मिलना लगभग तय माना जा रहा है. साथ ही शिंदे गुट की ओर से भारत गोगावले, सदा सरवणकर, प्रकाश आबिटकर, बालाजी किनीकर व योगेश कदम के नामोें की भी चर्चा चल रही है. यानी चार मंत्री पदों के लिए शिंदे गुट में इस समय सात नामों को लेकर चर्चा चल रही है.
उल्लेखनीय है कि, आगामी 19 दिसंबर से नागपुर में विधान मंडल का शीतकालिन सत्र शुरू होनेवाला है और इससे पहले राज्य मंत्रीमंडल का दूसरा विस्तार होना अपेक्षित है. ऐसे में अगले 15-20 दिन मंत्रीमंडल विस्तार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे है, क्योेंकि इन्हीं 15-20 दिनों के दौरान मंत्रीमंडल का दूसरा विस्तार होना तय है, ताकि नये मंत्रियों को विधान मंडल अधिवेशन शुरू होने से पहले कम से कम एक माह का समय अपने मंत्रालय का कामकाज समझने हेतु मिले और वे खुद को विधान मंडल सत्र के दौरान विधायकों, विशेषकर विपक्षी विधायकों की ओर से प्रस्तुत किये जानेवाले सवालों का जवाब दे सके.

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