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निर्दलीय विधायकों के हाथ में छठवें सांसद का भविष्य

किसकी राह होगी आसान, किसका पत्ता कटेगा, उत्सुकता तेज

मुंबई/दि.30– राज्यसभा का चुनाव इस बार काफी रोचक होगा, यह अभी से स्पष्ट है. क्योेंकि महाराष्ट्र विधानसभा से राज्यसभा के लिए 6 सांसद चुनकर दिये जाने है और 6 सीटों के लिए 7 उम्मीदवार मैदान में है. जिसके तहत भाजपा ने 3, शिवसेना ने 2, राकांपा ने 1 व कांग्रेस ने 1 उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. ऐसे में साफ है कि, पांच सीटों पर तो सभी दलों द्वारा अपने-अपने कोटे में रहनेवाले वोटों के जरिये अपने प्रत्याशियोें की जीत को सुनिश्चित कर ली जायेगी, लेकिन छठवीं सीट के लिए जमकर घमासान होगा ओर छठवीं सीट पर हार और जीत का फैसला पुरी तरह से निर्दलीय विधायकों के हाथ में रहेगा. ऐसे में अब इस बात को लेकर उत्सूकता देखी जा रही है कि, निर्दलीयों द्वारा किसका रास्ता और किसका पत्ता साफ किया जाता है.
उल्लेखनीय है कि, राज्यसभा में महाराष्ट्र केे कोटेवाली तीन सीट रिक्त होने जा रही है. जिनमें भाजपा के तीन सांसदों का समावेश है. हालांकि बदली हुई राजनीतिक स्थिति के चलते अब भाजपा के दो सदस्यों को आसानी से चुने जा सकते है और तीसरी सीट के लिए भाजपा के पास आवश्यक वोटों के तुलना में उपलब्ध वोटों की संख्या कम है. लेकिन भाजपा ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल व राज्य के पूर्व मंत्री डॉ. अनिल बोंडे इन दो प्रत्याशियोें के साथ-साथ धनंजय महाडीक के तौर पर तीसरा प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिया है. उधर शिवसेना के संजय राउत का राज्यसभा में कार्यकाल खत्म हो रहा है. शिवसेना के पास भी एक सीट को आसानी से निकाल लेने लायक वोट है और दूसरी सीट पर जीत हेतु आवश्यक कुछ वोटों की कमी है. लेकिन शिवसेना ने भी संजय राउत को दुबारा मौका देने के साथ-साथ संजय पवार के तौर पर अपना दूसरा प्रत्याशी मैदान में उतारा है. जाहीर है कि, दोनों ही दलों द्वारा निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में करने के लिए पूरी कोशिश की जायेगी. उधर राकांपा ने अपने वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल तथा कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से लाकर प्रत्याशी बनाये गये इमरान प्रतापगढी को अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में 6 सीटों के लिए 7 प्रत्याशी मैदान में है. यानी किसी एक की विकेट गिरना तय है. जिसमें से माना जा रहा है कि, महाडिक या संजय पवार में से ही किसी एक को हार का सामना करना पड सकता है. लेकिन यदि समय पर कोई बडा उलटफेर हो गया, तो किसी और प्रत्याशी पर भी गाज गिर सकती है.
बता दें कि, राज्य विधानसभा से राज्यसभा में जाने हेतु हर एक प्रत्याशी को पहली पसंद के 42 वोटों का कोटा प्राप्त करना होगा. मौजूदा पक्षीय बलाबल को देखते हुए भाजपा के 2 तथा शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा के 1-1 प्रत्याशी को बडे सहज तरीके से पहली पसंदवाले 42 वोट प्राप्त हो जायेगी. उल्लेखनीय है कि, राज्यसभा का चुनाव गुप्त मतदान पध्दति से नहीं होता, बल्कि प्रत्येक पार्टी के विधायक को पहले अपना वोट अपनी पार्टी के प्रतिनिधि को दिखाना होता है. जिसके बाद ही मतपत्रिका को मतपेटी में डाला जाता है. पार्टी द्वारा जिस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने का व्हिप जारी किया रहता है, उसी उम्मीदवार के पक्ष में संबंधित पार्टी के विधायकों को मतदान करना होता है. यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो संबंधित विधायक की विधायकी जा सकती है. ऐसे में पार्टी से जुडे विधायकों के इधर से उधर होने की संभावना नहीं के बराबर होती है. वहीं निर्दलीय रहनेवाले विधायक भले ही सत्ता पक्ष या विपक्ष से जुडे होते है, लेकिन उन पर अपनी सहयोगी पार्टी के प्रतिनिधि को अपना वोट दिखाने का बंधन नहीं होता. उलटे निर्दलीय विधायकों द्वारा अपना वोट न दिखाया जाये, ऐसा नियम भी है. ऐसे में सभी दलों द्वारा निर्दलीय विधायकों को अपने-अपने पाले में करने की जबर्दस्त जद्दोजहद की जाती है, जो इस वक्त भी तेज होती दिखाई दे रही है.
अब तक यह माना जा रहा था कि, भाजपा द्वारा विधानसभा में अपने संख्याबल को देखते हुए दो प्रत्याशी ही मैदान में उतारे जायेंगे, लेकिन ऐन समय पर पार्टी द्वारा तीसरे उम्मीदवार के नाम की घोषणा की गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि, पार्टी ने तीसरे प्रत्याशी के लिए आवश्यक वोटों का जुगाड करने के बाद ही यह कदम उठाया है. यदि ऐसा होता है, तो शिवसेना के दूसरे प्रत्याशी संजय पवार कुछ हद तक दिक्कत में आ सकते है.
उल्लेखनीय है कि, भारिप-बहुजन महासंघ, बहुजन विकास आघाडी, समाजवादी पार्टी, शेतकरी कामगार पार्टी, एमआईएम, कम्युनिस्ट पार्टी व मनसे जैसे दलों के विधायकों तथा निर्दलीय विधायकों द्वारा क्या भूमिका अपनायी जाती है, इस पर छठवीं सीट का भविष्य तय करेगा. इस समय तो भाजपा के पीयूष गोयल व डॉ अनिल बोंडे, शिवसेना के संजय राउत, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल व कांग्रेस के इमरान प्रतापगढी की राह पूरी तरह से आसान दिखाई दे रही है. लेकिन छठवीं सीट पर भाजपा के धनंजय महाडीक व शिवसेना के संजय पवार में से किसे मौका मिलता है, यह देखना उत्सूकतापूर्ण रहेगा.

* हम हॉर्स ट्रेडिंग नहीं चाहते, आघाडी अपना एक प्रत्याशी पीछे लें
इस संदर्भ में राज्य के नेता प्रतिपक्ष देवेेंद्र फडणवीस ने कहा कि, चूंकि राज्य सभा से भाजपा के तीन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. अत: उनके स्थान पर हमने तीन प्रत्याशी खडे किये है. ऐसे में यदि महाविकास आघाडी नहीं चाहती कि, विधायकोें की खरीद-फरोख्त यानी हॉर्स ट्रेडिंग हो, तो महाविकास आघाडी ने अपने एक उम्मीदवार को पीछे ले लेना चाहिए. वैसे भी राज्यसभा की 6 सीटों में से महाविकास आघाडी की 3 सीटें ही रिक्त हो रही है, लेकिन उन्होंने 4 प्रत्याशी मैदान में उतारे है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, भाजपा के पास तीसरी सीट के लिए 31 वोट उपलब्ध है और व्हिप हेतु आवश्यक 11 वोटों का प्रबंध कर दिया गया है. जिसके लिए कुछ निर्दलीय विधायकों से उन्होंने खुद बात की है और कुछ के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बातचीत चल रही है. साथ ही फडणवीस ने यह दावा भी किया कि, यदि महाविकास आघाडी ने अपने किसी भी उम्मीदवार को मैदान से नहीं हटाया, तो भी हमारे तीनों उम्मीदवार चुनाव जरूर जीतेेंगे, क्योेंकि हमारे तीनों प्रत्याशी महाराष्ट्र से वास्ता रखते है और राज्य की राजनीति में हमेशा ही सक्रिय रहते है. ऐसे में कुछ लोग अपनी सद्सद्विवेक बुध्दी से भाजपा प्रत्याशियों को वोट करेंगी.

* कोल्हापुर से ही हैं धनंजय महाडीक
यहां यह सबसे उल्लेखनीय है कि, जहां एक ओर शिवसेना द्वारा अपने कोल्हापुर के जिला प्रमुख संजय पवार को छठवीं सीट के लिए अपने दूसरे प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा गया है. वहीं इसी सीट के लिए भाजपा द्वारा कोल्हापुर से ही वास्ता रखनेवाले पूर्व सांसद धनंजय महाडीक को अपने तीसरे प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा गया है. ऐसे में इन दोनों प्रत्याशियोें की हार-जीत को लेकर कोल्हापुर में राजनीतिक वातावरण काफी हद तक तपा हुआ है और पूरे राज्य की निगाहें इन्हीं दो प्रत्याशियों की ओर लगी हुई है.

* दोनों सीटों पर जीत तो हमारी ही होगी
शिवसेना नेता व सांसद संजय राउत ने भी भाजपा द्वारा मैदान में तीसरा प्रत्याशी उतारे जाने अपने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, छत्रपति संभाजीराजे की आड लेकर भाजपा द्वारा अपनी राजनीति खेली जा रही थी. यह अब पूरी तरह साफ हो गया है. भाजपा को इस चुनाव में अपना तीसरा प्रत्याशी मैदान में उतारते हुए विधायकों की खरीद-फरोख्त करनी थी, यह भी साफ हो गया है. लेकिन भाजपा चाहे, कितने भी प्रयास कर ले, लेकिन इस बार महाविकास आघाडी के ही चारों प्रत्याशियों की जीत होगी. इस बात में कोई संदेह नहीं है.

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