महाराष्ट्र

बेघर भी मनुष्य ही है, उन्हें हटाने का आदेश नहीं दे सकते

उच्च न्यायालय ने किया स्पष्ट

वकील संगठना ने दायर की थी याचिका
मुंबई/ दि. 4- दक्षिण मुंबई के फ्लोरा फाउंटन स्थित फुटपाथ पर रहने वाले और सोने वाले लोगों की शिकायत करने के बारे में वकील संगठना ने दायर की याचिका पर किसी भी तरह के आदेश देने से उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मना कर दिया. बेघरों की समस्या वैश्विक है. पैरिस, न्युयार्क जैसे शहरों में भी ऐसी ही समस्या है. परंतु वे भी मनुष्य है, अन्य लोगों की तरह वे भी हमारे सामने समान है, ऐसा अदालत ने कहा.
दुनिया के हर शहर बेघर व्यक्ति और उन्हें आश्रय संबंधित समस्या के सामने जाते समय हर शहर को उनके लिए उचित रहने वाले तरीके से सामने आना होगा, ऐसा न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति निला गोखले की खंडपीठ ने कहा.बोरिवली स्थित दो दुकानदार पंकज व गोपालकृष्ण अग्रवाल ने फूटपाथ पर अनधिकृत तरिके से तैयार किये गए स्टॉल के बारे में उच्च न्यायालय में याचिका दर्ज की. पूरे शहर पर परिणाम करने वाला बडा मुद्दा याचिका व्दारा उपस्थित करने का कहते हुए अदालत ने स्वयं प्रेरणा से याचिका दायर कर ली. इस याचिका में बाँम्बे बार एसोसिएशन ने बिचौलियां याचिका दायर की. फूटपाथ पर कुछ लोग रहते है और सोते है, उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस व महापालिका को पत्र भेजा था, ऐसा याचिककार्ता एसोसिएशन ने याचिका में कहा है. फूटपाथ पैदल चलनों वाले के लिए है, बेघर लोग इसका उपयोग करते है. दिल्ली की तरह मुंबई में भी रात निवारा की व्यवस्था की जाए, ऐसी मांग एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने की.
मेेट्रो का काम शुरु करो, अतिक्रमण नहीं होगा
महापालिका संबंधित स्थान पर मेट्रो का काम शुरु करे, फिर वहां फूटपाथ पर नागरिक चल नहीं पायेंगे. गाडियां भी नहीं दौडेगी और कोई अतिक्रमण नहीं कर पायेगा. कई वर्षों से काम शुरु है, यह एक आदर्श उपाय है, ऐसा अदालत ने उपहास के साथ कहा.

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