महाराष्ट्र

विफल साबित हुई ‘जलयुक्त शिवार’ योजना

९,६०० करोड़ खर्च करके भी भूजल स्तर में नहीं हुआ इजाफा

  • कैग ने अपनी रिपोर्ट में दी जानकारी

    मुंबई/दि. ९ – पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा चलाई गई जलयुक्त शिवार योजना में अनेक खामिया थी. योजना क्रियान्वित करते समय ठीक तरह से मूल्यांकन नहीं किया गया. वहीं नियोजन के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ भी नहीं पहुंचा है. ९६३३ करोड़ रूपये खर्च करने के बावजूद भी भूजलस्तर नहीं बढ़ पाया है. यह आरोप भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India)ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है. कैग ने यह साफ तौर पर अपनी रिपोर्ट में बताया कि जलयुक्त शिवार योजना पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुुई है. यह बता दे कि भाजपा सरकार के दौर में पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने जलयुक्त शिवार योजना को काफी प्रतिष्ठित बना दिया था. यही योजना चलाई जाने से ग्रामीण इलाको की पानी की समस्या निराकरण होगा. यह दावा किया जा रहा था. इसके अलावा इस योजना के जरिए राज्य के ग्रामीण इलाको की तस्वीर पूरी तरह से बदल जायेगी यह दृश्य तैयार किया गया था. मंगलवार को विधान मंडल में पेश किए गये कैग की रिपोर्ट में जलयुक्त शिवार योजना सफल नहीं हो पायी है. भूर्गभ जलस्तर बढ़ाना और गांवों को सूखामुक्त बनाने के लिए जलयुक्त शिवार योजना चलाई गई थी. लेकिन यह योजना चलाते समय अनेक खामिया भी पायी गई.ग्रामीण इलाको का प्रारूप बनाते समय उचित नियोजन भी किया गया. योजना को अमल में लाने के लिए चुने गये अधिकांश गांवों में नियोजित क्षमता निर्माण नहीं किए गये कार्यो की गुणवत्ता जानने के लिए मूल्यांकन करना आवश्यक था. लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया.२०१५ से २०१९ के दौर में पूरे किए गये १ लाख ७४ हजार कार्यो में से केवल ३३ हजार यानी केवल २१ फीसदी कार्यो का ही मूल्यांकन किया गया. २०१७-१८ में पूरे किए गये कार्यो में केवल बुलढाणा जिले को छोड़ अन्य कहीं पर भी मूल्यांकन नहीं किया गया.

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