‘राजा’ के पास होनी चाहिए प्रबल सहनशक्ति
मौजूदा हालात पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कथन
पुणे/दि.21- साहित्यकारों व विचारकों द्वारा राजा के खिलाफ चाहे कितने भी प्रखर तरीके से विचार रखे जाये, परंतु उन विचारों को सहन करने की तैयारी राजा के पास होनी चाहिए. राजा द्वारा उन विचारों पर चिंतन करना ही लोकतंत्र की सबसे बडी परीक्षा है. इस आशय के शब्दों मेें केंद्रीय भुतल परिवहन एवं सडक निर्माण मंत्री नितिन गडकरी ने मौजूदा राजनीतिक हालात पर अपने विचार व्यक्त किये. नितिन गडकरी के मुताबिक संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वातंत्र दिया है. लेकिन इसके बावजूद जाति, धर्म, पंथ, भाषा व लिंग के आधार पर समाज में दिखाई देने वाली विषमता अपने आप में चिंता का विषय है.
एमआईटी विश्व शांति केंद्र तथा नागपुर विद्यापीठ के पूर्व कुलगुरू डॉ. एस. एन. पठान अमृत महोत्सव गौरव समिति द्वारा प्रा. डॉ. एस. एन पठान अमृत महोत्सवी गौरव ग्रंथ‘सांप्रदायिक सद्भावना का आदर्श’ का प्रकाशन केंद्रीय मंत्री गडकरी के हाथों हुआ. इस अवसर पर वे अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. इस समय वरिष्ठ साहित्यिक श्रीपाल सबनिस, एमआईटी के संस्थापक प्रा. डॉ. विश्वनाथ कराड, सत्कारमूर्ति डॉ. एस. एन. पठान, प्रा. डॉ. सर्जेराव निमसे, एमआईटीएडीई विद्यापीठ के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश कराड एवं डॉ. सरफराज पठान विशेष तौर पर उपस्थित थे.
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, पूर्व कुलगुरु डॉ. पठान ने कभी भी अपने तत्वों के साथ कोई वैचारिक समझौता नहीं किया और उन्होंने सही मायनों में सर्वधर्म समभाव वाला जीवन जिया. केंद्रीय मंत्री गडकरी के मुताबिक भारतीय संविधान के मुताबिक कौन व्यक्ति किसकी आराधना या भक्ति करेगा. यह बेहद ही निजी मामला है. सर्वधर्म के मूलतत्व में कोई कर्फ नहीं किया गया है तथा किसी भी तरह की मतभिन्नता भी लोकतंत्र में मान्य नहीं है. ऐसे में यदि किसी अन्य व्यक्ति का विचार अपने विरोध में भी है, तो भी उसका सम्मान करना लोकतंत्र को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है.
इस समय अपने संबोधन में वरिष्ठ साहित्यिक डॉ. श्रीपाल सबनिस ने कहा कि, देश में राजनेताओं ने ही सर्वधर्म समभाव को खत्म किया है. परंतु नितिन गडकरी का राजनीतिक जीवन पूरी तरह से निष्कलंक रहा और उनकी भूमिका हमेशा ही लोकतंत्रवादी रही. साथ ही डॉ. सबनिस ने यह भी कहा कि, पूर्व कुलगुरु डॉ. एन. एस. पठान ने अपने विचारों पर अडिग रहते हुए हिंदू व मुस्लिम समाज के बीच संवाद सेतू स्थापित करने का कार्य बडे प्रभावी ढंग से किया. इस समारोह में सूत्र संचालन डॉ. शालिनी टोपे द्वारा किया गया है.