महाराष्ट्र

सीताफलों को मिल रहा सबसे कम भाव

बीते वर्ष की तुलना में सबसे कम दर

  • प्रकिया उद्योग बंद रहने का असर

पुणे/दि ६ – इस बार सीताफलोंं की आवक अच्छी खासी होने पर भी सीताफलों को काफी कम भाव मिल रहा है. कोरोना महामारी के चलते प्रक्रिया उद्योग का कार्य अब तक पूर्ववत नहीं हुआ है. विवाह समारोह भी रद्द हो चुके है. बीते वर्ष की तुलना में सीताफल के भाव बहुत ही कम हो गये है. फुटकर बाजार में प्रतवारीनुसार एककिलो सीताफल को ५ से ६० रूपये ऐसा भाव मिला है. बारिश ने अपनी उपस्थिति दर्शाने से छत्रपति शिवाजी मार्केटयार्ड के फलबाजार में सीताफल की आवक बढ़ी है.
प्रक्रिया उद्योग में सीताफलों से पल्प तैयार किया जाता हैे कोरोना के संक्रमण के कारण प्रक्रिया उद्योग के काम अभी तक पहले की तरह नहीं हुए हैे विवाह समारोह में सीताफल की रबडी बनाई जाती है. इस साल विवाह समारोह रद्द हो गये है. जिसके कारण ऐन बहार में सीताफल को कम भाव मिला है. विगत वर्ष की तरह इस बार भी सीजन में सीताफल की आवक होने पर भी उसकी दर घट गई है, ऐसी जानकारी मार्केट यार्ड के सीताफल के व्यापारी पांडुरंग सुपेकर ने दी है. मार्केट यार्ड के फल बाजार में पुरंदर तहसील में सासवड तथा परिसर से सीताफल की आवक हो रही है. उसी प्रकार दिवे घाट के पास वाले गांव वडकी, फुरसुंगी और शिरूर तहसील में सीताफल की आवक हो रही है, ऐसा उन्होंने बताया.

हजारों किलो की आवक

मार्केट यार्ड में फलबाजार में रोज २५ से ३० टन सीताफल की आवक हो रही है. उसकी तुलना में मांग कम होने से फुटकर बाजार में भाव कम हो गये है. हर साल सीताफल को साधारण तौर पर फुटकर बाजार में प्रतिकिलो १० से १०० रूपये ऐसा भाव मिलता है. फुटकर बाजार में सीताफल को भाव न मिलने से किसान अपनी जगह पर ही सीताफल बेच रहे है. प्रक्रिया उद्योग, आइस्क्रीम उत्पादको की ओर से मांग कम हुई है, ऐसा सीताफल व्यापारी अरविंद मोरे ने कहा.

७० प्रतिशत सीताफल की खरीदी प्रक्रिया उद्योग की ओर से

सीताफलों के सीजन में ७० प्रतिशत सीताफल प्रक्रिया उद्योग की ओर से खरीदे जाते है. बाजारभाव कम होने के बाद प्रक्रिया उद्योग की ओर से बडी संख्या में सीताफल खरीदे जाते है. प्रक्रिया उद्योग की ओर से लगभग २ हजार टन सीताफल पल्प तैयार किया जाता हैे सीताफल पल्प शीतगृह में १० माह तक टिकता हैे मांगनुसार पल्प की आपूर्ति की जाती है. इस बार के सीजन में प्रकिया उद्योग बंद होने से सीताफल उत्पादक किसानों के साथ व्यापारियों का भी बहुत नुकसान हुआ है.

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