महाराष्ट्र

अपने अस्तित्व का उद्देश्य पूरा कर रहा है मीडिया

उच्च न्यायालय ने प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया

मुंबई/दि.२३ – मुंबई उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया है. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि प्रेस के अस्तित्व की एक वजह और उद्देश्य है, जिसे वह पूरा कर रहा है. इसलिए स्वतंत्र मीडिया के अधिकारों में कटौती नहीं की जा सकती. उच्च न्यायालय ने यह बात नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में वित्तीय गडबडियों को अंजाम देने वाले एजेंट से जुडे मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को बताई. इस वित्तीय गडबडी के चलते कई निवेशकों के पैसे डूब गए हैं.
सुनवाई के दौरान एक पक्षकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रोहाना कामा ने न्यायमूर्ति गौतम पटेल के सामने प्रकरण को लेकर कुछ सबूत व दस्तावेज बंद लिफाफे में पेश करने की अनुमति मांगी. उन्होंने कहा कि दस्तावेज में संवेदनशील सूचना है, उन्हें आशंका है कि यदि दस्तावेज बिना सीलकवर के लिए गए तो ये प्रेस तक पहुंच जांएगे. इस पर न्यायमूर्ति कामा ने कहा, मैं अपने कोर्ट में कुछ भी बंद लिफाफे में स्वीकार नहीं करुंगा और रिकॉर्ड में भी नहीं लूंगा. इसका सवाल ही नहीं उत्पन्न होता. यदि कोई दस्तावेज मेरे सामने पेश किया गया है तो उसे देखने का अधिकार मामले से संबंधित सभी पक्षकारों को है. इसी तरह से पारदर्शी निर्णय को सुनिश्चित किया जा सकता है. जहां तक बात प्रेस की है तो उसके अस्तित्व का एक कारण व उद्देश्य है, जिसे वह पूरा कर रहा है. इसलिए मैं स्वतंत्र प्रेस के अधिकारों पर कटौती नहीं कर सकता. मैं इस बात को भी मानकर नहीं चल सकता कि प्रेस हमेशा गैर जिम्मेदार होता है, इसलिए प्रेस अपना काम करेगा और मैं अपना. मामले की अगली सुनवाई ५ अक्तूबर को रखी गई है.

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