महाराष्ट्र

औरंगाबाद शहर का नाम जल्द बदलकर होगा संभाजीनगर

ठाकरे सरकार ले रही निर्णय

मुंबई/दि.२ – जगहों और शहरों के नाम बदलने की राजनीति अब महाराष्ट्र पहुंच चुकी है. महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर संभाजीनगर करने जा रही है. शिवसेना पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में एक आर्टिकल लिखा है जिसमें उसने कहा है कि पार्टी जल्दी ही औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने जा रही है.
बीजेपी पर हमला करते हुए शिवसेना ने आगे कहा कि एक तरफ पाकिस्तान में मंदिर तोड़े जा रहे हैं और भाजपा मूकदर्शक बनकर देख रही, वहीं दूसरी तरफ भाजपा महाराष्ट्र सरकार को गिराने के अवसर ढूंढ रही है.
औरंगाबाद का नाम बदलना शिवसेना की पुरानी मांग रही है लेकिन इसका असर शिवसेना सरकार बनाने वाले गठबन्धन यानी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी पर भी दिखाई दे रहा है. महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने इस मसले पर पहले ही कहा है कि इस मुद्दे का उल्लेख एमवीए के सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम में नहीं था.
इस तरह कांग्रेस नेता ने गठबंधन की मुख्य सहयोगी पार्टी शिवसेना पर नाराजगी व्यक्त की है. इसपर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा है कि एमवीए सरकार की नीतियों और नियम पुस्तिका में नाम परिवर्तन के मुद्दे को जोडऩा बेवकूफी होती क्योंकि नाम परिवर्तन के लिए कांग्रेस का विरोध पहले भी रहा है.
शिवसेना ने सामना में आगे लिखा है कि कांग्रेस नेता द्वारा दिए गए बयान के बाद शिवसेना को अपने रुख को स्पष्ट करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पार्टी इस मुद्दे पर अपने पहले के रुख से हटी नहीं है और नाम बदलने की मांग पर हमेशा सबसे आगे रही है.
अपने संपादकीय में शिवसेना ने भाजपा पर दोहरे आरोप लगाते हुए पूछा है कि जब भाजपा दिल्ली में इलाहाबाद, फैजाबाद और औरंगजेब मार्ग में नाम परिवर्तन कर सकती है, तो महाराष्ट्र में सरकार होने पर किस वजह से उसने ये बदलाव नहीं किए? शिवसेना ने आगे कहा कि जैसे राम मंदिर का निर्माण सर्वसम्मति से किया जा रहा है वैसे ही संभाजीनगर का नामकरण भी सर्वसम्मति से किया जाएगा.
शिवसेना ने आगे कहा है कि मुसलमान अनावश्यक विवाद में पडऩा नहीं चाहते हैं उन्होंने भी इस मामले में राष्ट्रवाद का रास्ता अपनाते हुए शिवसेना का समर्थन किया है. ओवैसी औरंगजेब के नाम पर वोट मांगते हैं. उनकी पार्टी का एक एमपी भी है उसी जगह से. जो लोग ओवैसी को सपोर्ट करते हैं वे शिवसेना से सवाल कर रहे हैं. शिवसेना ने आगे कहा औरंगजेब राज्य के धर्म और अभिमान का प्रतीक नहीं रहा है. कांग्रेस को इस तथ्य को समझना चाहिए कि मुगल शासक कोई सेक्युलर शासक नहीं थे.

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