महाराष्ट्र

बच्चों व महिलाओं की मौत का सिलसिला अब भी जारी है मेलघाट में

सामाजिक कार्यकर्ता ने किया दावा

  • हाईकोर्ट ने मांगी लिखित रिपोर्ट

मुंबई/दि.7 – राज्य के मेलघाट इलाके में अभी भी बच्चों व महिलाओं की मौत का सिलसिला जारी है. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के समक्ष सामाजिक कार्यकर्ता बंड्या साने ने यह दावा किया.
यह जानने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपनी यह बात लिखित रूप में देने को कहा. सरकार की ओर से अभी तक इस मामले को लेकर हलफनामा दायर नहीं किया गया है. सोमवार को समय कम होने के चलते इस याचिका पर ज्यादा देर तक सुनवाई नहीं हो पायी. खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी है. इसके साथ ही सरकार को हलफनामा दायर करने को कहा है.
मेलघाट इलाके में कुपोषण के चलते बच्चों, गर्भवती महिलाओं की होनेवाली मौत को लेकर डॉ. राजेंद्र बर्मा ने जनहित याचिका दायर की है. साल 2007 में इस विषय को लेकर दायर याचिका में मेलघाट इलाके में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी, महिला व बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के न होने के मुद्दों को उठाया गया है.

अगस्त माह में दस बच्चों और दो महिलाओं की हुई मौत

साने ने कहा कि, अगस्त माह में मेलघाट इलाके में करीब दस बच्चों और दो महिलाओं की मौत हुई है. बता दें कि, पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आदिवासी इलाकों में 73 बच्चों की मौत की बात जानने के बाद सरकार को कडी फटकार लगाई थी. इसके साथ ही सरकार को आगाह किया था कि यदि प्रदेश के आदिवासी इलाकोें में कुपोषण से और मौत हुई तो इसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सचिव व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार होंगे. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर विषय मानते हुए सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था. हलफनामे में सरकार को यह खुलासा करने को कहा गया था कि सरकार ने आदिवासी इलाकों में कुपोषण से बच्चों की मौत को रोकने व वहां डॉक्टरों को उपलब्ध कराने के लिए कौन से कदम उठाए हैं? हालांकि राज्य सरकार की ओर से 23 अगस्त को दावा किया गया था कि सरकार ने कुपोषण से बच्चों की मौत को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए है.

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