महाराष्ट्रविदर्भ

शालेय शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार के ‘रेट’

तबादला, शाला मान्यता सेवानिवृत्ति वेतन के लिए लाखों की रिश्वत

नागपुर/दि.1– शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भी भ्रष्टाचार का कलंक लगने के कारण बार-बार प्रकाश में आते रहते हैं. रिश्वतखोरी राज्य के शिक्षा विभाग में इतनी है कि यहां भ्रष्टाचार के छिपे हुए ‘रेट’ भी तैयार है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सख्त वसूली संचालनालय (ईडी) के जरिए जांच करने की घोषणा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व्दारा किए जाने के बाद यह विषय फिर चर्चा में आ गया है.
तबादले के लिए रिश्वत मांगनेवाले अनेक अधिकारी व कर्मचारी एसीबी के जाल में फंसने की अनेक घटना सामने आई है. लेकिन यह भ्रष्टाचार केवल तबादले तक ही मर्यादित नहीं है. यहां पैसे दिए बगैर कोई भी काम नहीं होता, ऐसी स्थिति रहने की चर्चा है. तबादले से लेकर शालाओं की मान्यता, सेवानिवृत्ति वेतन के लिए खुलेआम रिश्वत ली जाती है. संस्था अंतर्गत विवादित प्रकरण अथवा शिक्षकों के वेतन में मंजूरी के काम में सर्वाधिक भ्रष्टाचार होता रहने की जानकारी है. इसमें के अनेक काम के ‘रेट’ ठहरे हुए हैं. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के विभाग के पास शिक्षक के तबादले, शाला जांच, नए शिक्षकों के वेतन को मंजूरी, स्वास्थ्य से संबंधित बिल को मंजूरी, सेवानिवृत्ति वेतन आदि काम के लिए काफी पैसे लिए जाते हैं. 2 लाख रुपए दिए बगैर शिक्षकों को वेतन को मंजूरी नहीं दी जाती, ऐसा आरोप भी किया जा रहा है. राज्य में निजी शालाओं की संख्या बढने से मंजूरी के लिए लाखों के ‘रेट’ रहने की जानकारी है. पैसे नहीं दिए तो इमारत, बैठक व्यवस्था, क्रीडागंण आदि दोष दिखाकर मंजूरी नहीं दी जाती. साथ ही अनुदानित शालाओं के शिक्षकों के रिक्त पद भरने की मंजूरी के लिए भी लाखों रुपए का व्यवहार होता रहने की जानकारी है.

* अधिकारी और शालाओं की आंकडेवारी
राज्य में 33 जिला परिषद और 4 मनपा में शिक्षाधिकारी पद श्रेणी 1 के है. महाराष्ट्र में ऐसे 144 पद है. इसमें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षाधिकारियों का समावेश है. राजस्व विभाग में विभागीय शिक्षा उपसंचालक पद है. राज्य में 1 लाख 10 हजार शासकीय, अनुदानित व निजी शाला है. इसमें सीबीएसई शाला भी शामिल होने से भ्रष्टाचार और बढने की चर्चा है.

* भर्ती बंद रहते 7 हजार शिक्षकों की नियुक्ति
मई 2012 में शिक्षक भर्ती पर पाबंदी रहते हुए भी शिक्षाधिकारी, संचालक और उपसंचालकों ने लाखों रुपए लेकर 7 हजार शिक्षकों की नियुक्तियां की है. इस प्रकरण में 59 शिक्षाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दी गई. लेकिन इस प्रकरण को रफादफा किया गया. शिक्षा विभाग का भ्रष्टाचार रोकने के लिए ईडी के जरिए जांच आवश्यक है.
– नागो गाणार,
पूर्व शिक्षक विधायक
कायम मुख्याध्यापक मंजूरी – 1 से 1.50 लाख
शालार्थ प्रकरण – 80 हजार से 1 लाख रुपए
वैद्यकीय बिल मंजूरी – रकम से 10 से 20 प्रतिशत
शिक्षक तबादले – 50 हजार से 2 लाख रुपए
निष्काशन के बाद दुबारा नियुक्ति – 5 लाख रुपए

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