मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच के लिए किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई
चौबीसों घंटे काम करते हुए रिकॉर्ड समय में सर्वेक्षण पूरा करने के लिए सराहना
* मराठा समुदाय को ऐसा आरक्षण मिलेगा जो अन्य समुदायों के आरक्षण को प्रभावित किए बिना कानून के दायरे में बैठता है
– मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का भरोसा
मुंबई/दि.16- राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे ने मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य भर में किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट आज मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपी. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस उपस्थित थे. आज सुबह जब वर्षा को रिपोर्ट सौंपी गई तो आयोग के सदस्य भी मौजूद थे. इस मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस बात की सराहना की कि साढ़े तीन से चार लाख अधिकारियों और कर्मचारियों समेत पूरे प्रशासनिक तंत्र ने रिकॉर्ड समय में सर्वेक्षण किया. इस सर्वे को लेकर मुख्यमंत्री ने बैठकें की थीं और इस सर्वे को युद्धस्तर पर पूरा करने के निर्देश दिये थे.
मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से 23 जनवरी से राज्य में मराठा और खुली श्रेणियों का युद्ध स्तर पर सर्वेक्षण किया गया था. सर्वेक्षण 2 फरवरी को पूरा हुआ. राज्य के लगभग ढाई करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण किया गया. प्रसिद्ध संस्थान याकामी गोखले इंस्टीट्यूट, आईआईपीएस ने मदद की. यह सर्वेक्षण एक विशेष सॉफ्टवेयर प्रणाली के माध्यम से पूरा किया गया.
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार गांव-गांव में दावांडी पिटवाकर नागरिकों से सर्वेक्षण में सहयोग करने का अनुरोध किया गया, इसलिए यह सर्वेक्षण बहुत तेजी से किया गया.
इस कार्य के लिए प्रदेश के सभी संभागायुक्त, कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सभी विभागों के सचिवों ने भूमि अधिग्रहण, भूमि प्रतिधारण, भूमि प्रतिधारण, भूमि अभिलेख के साथ-साथ सरकारी और अर्ध-सरकारी नौकरियों और शिक्षा में समाज के अनुपात के संबंध में आयोग को जानकारी प्रदान की. राज्य में विद्यार्थियों का स्तर आदि। साथ ही शारीरिक श्रमिकों की जानकारी भी आयोग को उपलब्ध करायी गयी. इसके अलावा मराठा आरक्षण के तहत राज्य में मराठा युवाओं की आत्महत्या की जानकारी भी आयोग को उपलब्ध करायी गयी.
किसी भी समाज के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग से मराठा समुदाय के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन की जांच करने को कहा था. इसके लिए साढ़े तीन से चार लाख लोग दिन-रात काम कर रहे थे. जब देवेन्द्र फड़णवीस मुख्यमंत्री थे, तब उनके प्रयासों से मराठा आरक्षण उच्च न्यायालय में तो बच गया, लेकिन दुर्भाग्य से यह उच्चतम न्यायालय में नहीं टिक सका. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आज सौंपी गई रिपोर्ट को राज्य कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा और उस पर चर्चा की जाएगी.
हम मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए शुरू से ही सकारात्मक रहे हैं और समय-समय पर ऐसे कदम उठाए हैं। आयोग ने रिकॉर्ड समय में सर्वेक्षण पूरा कर लिया है और मुझे विश्वास है कि हम ऐसा आरक्षण प्रदान करने में सक्षम होंगे जो ओबीसी या किसी अन्य समुदाय के आरक्षण को खतरे में डाले बिना कानून के दायरे में फिट बैठता है.
आंदोलन वापस लेने का आह्वान
मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है. सत्ता में आने के बाद से हमने कई ठोस कदम उठाये हैं. आयोग ने आज रिकॉर्ड समय में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है. हमने 20 फरवरी को विधानमंडल का विशेष सत्र भी बुलाया है. इन सबको देखते हुए मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों से अपना आंदोलन वापस लेने की अपील भी की.
मुख्य सचिव डॉ. नितिन करीर, सामाजिक न्याय विभाग के सचिव सुमंत भांगे, आयोग के सदस्य अंबादास मोहिते, ओमप्रकाश जाधव, मच्छिंद्रनाथ तांबे, ज्योतिराम चव्हाण, मारुति शिंकारे, डॉ. गोविंद काले, डॉ. गजानन खराटे, नीलिमा सराप (लखाड़े), सदस्य सचिव ए. … पाटिल उपस्थित थे.