अकोलामहाराष्ट्र

ला-नीना स्थिति के कारण अक्तूबर में बढी भीषण गर्मी

प्रशांत महासागर क्षेत्र में बदलाव के कारण जरुरत से ज्यादा उष्णता

अकोला/दि.16– मौसम विभाग ने इस साल अच्छी बारिश और उसके बाद अच्छी ठंड की संभावना जताई थी. मानसून के दौरान उम्मीद से ज्यादा बारिश हुई. कई जगह अतिवृष्टि भी हुई जो फसलों के लिए घातक रही. लेकिन इतनी बारिश के बावजूद अक्तूबर महीने में भी भीषण गर्मी पड रही है. मौसम विभाग के अनुसार इस भीषण गर्मी का कारण प्रशांत महासागर के किनारे ला-नीना जैसी स्थिति का बनना है. यह स्थिति अक्तूबर के मध्य तक बरकरार रह सकती है.
विशेषज्ञों के अनुसार प्रशांत महासागर क्षेत्र के किनारे अल नीनो जैसी स्थिति के बाद अब मानसून के अंतिम दौर में धीरे-धीरे ला-नीना जैसी स्थिति हो रही है. जिसके कारण अक्तूबर में भीषण गर्मी पड रही है. इसी कारण भारी बारिश और अक्तूबर माह शुरु होने के बावजूद देश में औसत से ज्यादा गर्मी पड रही है. अक्तूबर के मध्य तक इस स्थिति से छुटकारा मिलना मुश्किल है. स्थिति को भारतीय उपमहाद्वीप में ‘अक्तूबर हीट’ के रुप में संबोधित किया जाता है. जानकारों के अनुसार अक्तूबर और नवंबर के दौरान सूर्य के दक्षिण की ओर बढने के साथ, उतरी मैदानों पर मानसून की गर्त या कम दबाव की गर्त कमजोर हो जाती है. धीरे-धीरे एक उच्च दबाव प्रणाली द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है. दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं कमजोर हो जाती है और धीरे-धीरे बाहर निकलने लगती है. अक्तूबर की शुरुआत तक मानसून उतरी मैदानों से बाहर निकल जाता है. अक्तूबर का महीना बारिश और ठंड के संक्रमण का दौर होता है. मानसून की विदाई साफ आसमान और तापमान में बढोतरी से होती है. ऐसे में दिन का तापमान अधिक होता है, जबकि रातें ठंडी होती है.

* किडनी पर हो सकता है प्रतिकूल असर
– अक्तूबर में पड रही गर्मी की वजह से बहुत ज्यादा पसीना निकल रहा है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. यह डिहाइड्रेशन की कंडीशन है, जिसकी वजह से खून गाढा हो जाता है और ब्लड फ्लो कम हो जाता है. खून का प्रवाह सही तरह न होने से किडनी तक खून की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती. इसकी वजह से किडनी की फिल्टर प्रक्रिया पर असर पडता है. किडनी अपनी फिल्टर की क्षमता खो देती है और शरीर से गंदगी बाहर नहीं निकल पाती. इसे एक्यूट रीनल फेलियर कहते है. इस स्थिति से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना जरुरी है.
– ला-नीना प्रशांत महासागर में होनेवाला एक मौसम पैटर्न है. इस पैटर्न में तेज हवाएं दक्षिण अमेरिका से इंडोनेशिया तक समुद्र की सतह पर गर्म पानी उडाती है.
– जैसे-जैसे गर्म पानी पश्चिमी की ओर बढता है, दक्षिण अमेरिका के तट के पास गहरे पानी से ठंडा पानी सतह पर आ जाता है. इसका असर भारत में भी देखा जाता है.

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