महाराष्ट्र

राज्य सरकार बेघर व भिखारियों को सब कुछ प्रदान नहीं कर सकती है

बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका पर दिया फैसला

मुंबई/दि.4 – बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि भिखारियों और बेघर लोगों को भी कुछ काम करना चाहिए. उन्हें सरकार ही सब कुछ नहीं दे सकती. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने इस आशय की एक जनहित याचिका रद्द करते हुए शनिवार को यह बात कही. याचिका मुंबई निवासी सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश आर्या ने दायर की थी.
इसमें मांग की गई थी कि राज्य सरकार को बेघर व भिखारियों के लिए दिन में तीन बार भोजन, पीने का स्वच्छ पानी व साफ-सुथरा शौचालय प्रदान करने का निर्देश दिया जाए. सुनवाई के दौरान बृहन्मुंबई महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने बताया कि गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से गरीब व बेघर लोगोें को खाने के पैकेट वितरित किये जाते है. यह जानने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में अब और निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं महसूस होती है. खंडपीठ ने कहा, वर्तमान में हर कोई काम कर रहा है. ऐसे में बेघर लोगों को भी देश के लिए कार्य करना चाहिए. राज्य सरकार बेघर व भिखारियों को सब कुछ प्रदान नहीं कर सकती है. याचिका में सभी मांगों को पूरा करने का मतलब लोगों को काम न करने का निमंत्रण देने जैसा है. याचिकाकर्ता सिर्फ गरीब तबकों की संख्या न बढाएं.

सार्वजनिक शौचालयों के मुफ्त इस्तेमाल पर सरकार करे विचार-कोर्ट

खंडपीठ ने कहा कि महानगर में काफी सार्वजनिक शौचालय हैं, जो बेहद कम शुल्क पर लोगों के लिए उपलब्ध है. फिर भी राज्य सरकार बेघर लोगों को सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल मुफ्त में करने देने पर विचार करे. खंडपीठ ने कहा कि याचिका में बेघर लोगों के बारे में पर्याप्त जानकारी भी नहीं है.

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