महाराष्ट्र

देश भर में कोरोना की बोगस दवाइयों की सप्लाई शुरू थी

मुंबई में पकड़ाया मास्टरमाइंड

 मुंबई/दि. 10 – कोरोना के इलाज में इस्तेमाल में आने वाली बोगस दवाइयों की सप्लाई देश भर में की जा रही थी, मुंबई में इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड पकड़ा गया है. मुंबई पुलिस के हत्थे चढ़ा सुदीप मुखर्जी पेशे से केमिकल इंजीनियर और व्यापारी है. इसने कोरोना के इलाज में इस्तेमाल में आने वाली फेविपिराविर की गोलियों सहित अनेक दवाइयों का डुप्लिकेट माल तैयार करने के लिए एक फर्जी कंपनी बनाई थी. लेकिन अब इसका यह धोखाधड़ी का खेल खत्म हो गया है और इसे मुंबई पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है.
कोरोना काल में तेजी के वक्त एंटी वायरल फेविपिराविर के टैबलेट्स सहित अन्य दवाइयों की मांग बढ़ गई थी. इस काल में इस व्यापारी ने हिमाचल प्रदेश में एक डुप्लिकेट फार्मा कंपनी तैयार की. फ़र्जी काग़ज़ात तैयार कर बोगस दवाइयों का स्टॉक बढ़ाया और फिर ऐसी डुप्लिकेट दवाइयों को देश भर के मार्केट में उतार दिया. लोगों की जिंदगी से खेलते हुए यह इस तरह से करोड़ों रुपए की कमाई करने में व्यस्त था.

  • हिमाचल प्रदेश में फर्जी कारखाना

मुंबई पुलिस की गिरफ्त में आया यह व्यापारी कोरोना काल में हुई हजारों मृत्यु के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार है. सुदीप मुखर्जी नाम का यह केमिकल इंजीनियर बहुत ही शातिराना तरीके से अपनी फर्जी कंपनी में कोरोना इलाज में उपयोगी फेविपिराविर और अन्य दवाइयों के बोगस टैबलेट्स तैयार करवाता था और फिर उन्हें देश भर में सप्लाई करवाता था.
इस तरह यह आरोपी  फर्जी कंपनी, फर्जी लाइसेंस, फर्जी वितरकों की मदद से कोरोना के इलाज के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवाइयों के फर्जी टैबलेट्स मुंबई, दिल्ली राजस्थान सहित देश भर में अलग-अलग दवाइयों की दुकानों में बेच रहा था. इतना ही नहीं, वह इन डुप्लिकेट दवाइयों को  ऑनलाइन भी धड़ल्ले से बेच रहा था.

  • ऐसे हुआ पर्दाफाश

इस बीच इसका एक कंसाइनमेंट दक्षिण मुंबई के बाजार में पहुंचा था.  वहां से फेविपिराविर के टैबलेट्स, हाइड्रोक्लोरोक्विन सहित अन्य दवाइयों को अनेक जाने-माने अस्पतालों में पहुंचाया गया था. इसकी जानकारी एफडीए (Food & Drug Administration- FDA) को मिली. एफडीए अधिकारियों ने प्राप्त जानकारियों के आधार पर छापे मारे. डुप्लिटकेट दवाइयों के ढेर सारे स्टॉक्स जब्त किए गए. इस छापेमारी से एफडीए को यह समझ में आ गया कि इन बोगस दवाइयों की सप्लाई चेन बहुत लंबी है. इसके बाद इन अधिकारियों ने मुंबई के उपनगरीय इलाकों में तीन बड़े दवाई विक्रेताओं के गोदामों पर छापेमारी की और ऐसी फर्जी दवाइयों का बड़ा स्टॉक जब्त किया. इस तरह सुदीप मुखर्जी का काला धंधा सामने आया.

  • बोगस दवाइयों में क्या भरा जाता था?

इस प्रकरण में प्राप्त जानकारियों के मुताबिक जब्त की हुई दवाइयों में ऐसे केमिकल कंपाउंड से जुड़ी चीजें मिली हुई थीं जिनका कोरोना के इलाज में कोई उपयोग नहीं था. महाराष्ट्र एफडीए और मुंबई पुलिस की जांच के मुताबिक आरोप सुदीप मुखर्जी ने कोरोना के नाम पर ठगी का यह व्यवसाय चलाने के लिए हिमाचल प्रदेश में मेसर्स मैक्स रिलीफ हेल्थकेयर नाम की कंपनी तैयार की थी. लेकिन वास्तव में ऐसी कंपनी का कोई अस्तित्व नहीं है.
इस कंपनी से संबंधित जांच में एफडीए महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस की टीम को पता चला कि ये बोगस दवाइयां दिल्ली के पास नोएडा स्थित ऑफिस से होल सेल विक्रेताओं तक पहुंचाई जाती थीं. और ये बोगस दवाइयां सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पंजाब में पहुंचाई जा रही थीं. यानी यह एक बहुत बड़ा रैकेट था और इसमें बहुत सारे लोगों के शामिल होने का शक है. इसी आधार पर मुंबई पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है.

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