महाराष्ट्र

लॉकडाउन का विषय हमारे लिये खत्म हुआ

स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने दिया अनलॉक पर बडा बयान

मुंबई हींस/दि.१२ – इस समय कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ रही है. इसमें कोई संदेह नहीं है और यह वाकई qचता का विषय है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि, महाराष्ट्र में इस समय तक यद्यपि कोरोना संक्रमितों की संख्या १० लाख से अधिक हो चुकी है, लेकिन उनमें से साढे ७ लाख से अधिक लोग ठीक होकर अपने घर लौट चुके है. वहीं शेष एक्टिव पॉजीटिव मरीजों में मात्र तीन से चार प्रतिशत मरीजों की स्थिति ही गंभीर है. ऐसे में अब यह बेहद जरूरी है कि, कडे लॉकडाउन को खत्म हुआ विषय मानकर बेहद जागरूक तरीके से अनलॉक की प्रक्रिया को आगे बढाया जाये.
इस आशय का प्रतिपादन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने दिया है. स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के मुताबिक जब तक कोरोना के इलाज हेतु कोई कारगर वै्नसीन नहीं आ जाती, तब तक हमें कोरोना के खतरे के साथ ही जिना है. ऐसे में बेहद जरूरी है तक, इस बीमारी के संक्रमण से बचे रहने हेतु हर कोई मास्क एवं सैनिटाईजर का प्रयोग जरूर करे. कोरोना की वजह से कुछ शहरों व तहसीलोें में जनता कफ्र्यू लगाया जा रहा है, इस बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने कहा कि, जनता कफ्र्यू के कई फायदे है. एक तो इस दौरान लोग अपने घरों में ही रूकते है, जिससे संक्रमण का प्रसार रूक जाता है. वहीं दूसरी ओर इस दौरान प्रशासन को स्वास्थ्य सुविधाओं को चुस्त-दुरूस्त करने का प्रयास किया जा सकता है. ऐसे में जहां-जहां स्थानीय प्रशासन संबंधित जिले के पालकमंत्री व जनप्रतिनिधियों को जरूरत महसूस होती है, तो वे स्थानीय स्तर पर जनता कफ्र्यू लगाने का विचार कर सकते है लेकिन अब संपूर्ण लॉकडाउन लगाने का कोई विचार नहीं है, बल्कि चरणबध्द ढंग से अनलॉक की प्रक्रिया को आगे बढाने का काम किया जा रहा है.

  • अब ८० फीसद ऑक्सिजन मेडिकल प्रयोग हेतु

इस समय राज्य में बडे पैमाने पर कृत्रिम ऑक्सिजन की कमी देखी जा रही है और ऑक्सिजन की कमी के चलते कई मरीजों द्वारा दम तोड दिये जाने के मामले सामने आये है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि, इससे पहले राज्य में जितने भी कृत्रिम ऑक्सिजन का उत्पादन होता था, उसमें से ८० फीसदी ऑक्सिजन औद्योगिक कार्यों में प्रयुक्त होता था और कोरोना काल से पहले मात्र २० प्रतिशत ऑक्सिजन ही स्वास्थ्य सुविधाओं से संबंधित कामों के लिए दिया जाता था.
किंतु अब इस स्थिति को पूरी तरह से पलट दिया गया है. अब मेडिकल सुविधाओं के लिए ८० फीसदी एवं औद्योगिक कामों के लिए २० प्रतिशत ऑक्सिजन देने का निर्णय लिया गया है. ताकि मरीजों के इलाज में ऑक्सिजन की कमी की समस्या न आये. साथ ही उन्होंने बताया कि, आगामी आठ दिनों के भीतर पुणे में एक बहुत बडे प्लान्ट द्वारा ऑ्िनसजन का उत्पादन शुरू किया जायेगा. जिसके बाद समूचे राज्य में ऑक्सिजन की कही कोई कमी नहीं होगी.

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