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महाराष्ट्र के 6 परिवारों की करूण कहानी, जिनके मुखिया को आतंकियों ने मारी गोली

मुंबई/दि.24- पहलगाम के मंगलवार के आतंकवादी हमले में महाराष्ट्र के 6 लोगों की भीषण हत्या कर दी गई. इन पीडित परिवारों की व्यथा किसी को भी भीतर तक हिलाकर रख देनेवाली है. आतंकियों ने अत्यंत क्रूरता से पुरूष गृहस्वामियों को मारा. जबकि अभागे परिजन दर्शक बनने विवश रहे. उनकी चीख पुकार का कोई असर आतंकियों पर नहीं हुआ. बडी बेरहमी से इन लोगोंं की सरे आम हत्या आतंकवादियों ने कर दी. किसी के कपडे उतरवाए तो किसी की पत्नी के आडे आने पर भी उसके पति को गोली मार दी. यह भयानक वाकयात पीडित परिवारों ने बयां किए.

मां ने कवर किया पर उन्होंने पिता को पेट में मारी गोली
* अतुल मोने की बेटी ने बताया रोमहर्षक किस्सा
अतुल मोने की बेटी ऋचा मोने ने आप बीती बताई. उन्होंने कहा कि बुरसान अर्थात मिनी स्वीजरलैंड में हम सभी थे. वहां परिस्थिति ठीक थी. सब कुछ ठीक चल रहा था. लोग एनजॉय कर रहे थे. खाना पीना शुरू था. हम वहां से निकल रहे थे कि फायरिंग शुरू हो गर्ई. वे स्वयं कन्फ्यूज हो गई कि क्या शुरू है ? उन्हें लोग यहां वहां भागते दिखाई दिए. कुछ लोग झुककर भाग रहे थे. उन्हें देख ऋचा भी झुक कर भागी. कुछ ही पलों में सिर उठाकर देखा तो फायरिंग शुरू थी. दो लोगोें को धडाधड गोलियां बरसाते ऋचा ने देखा. वे दूर से फायरिंग कर रहे थे. फिर उन्होंने लोगों को गोलिया मारना शुरू कर दिया. ऋचा ने बताया कि हम सभी एकत्र हो गये. वहां दो लोग आए. उन्होंने पूछा हिन्दू कौन है और मुस्लिम कौन ? संजय काका ने हाथ उंचा किया. तब उनके सिर में गोली मार दी. उसके बाद हेमंत काका देखने गये कि क्या हुआ है. उन्हें भी गोली मार दी. उपरांत मेरे पिता अतुल मोेने ने कहा कि गोली न मारे हम कुछ नहीं करेंगे. उनके पीछे मेरी मां खडी थी. आतंकियों ने कुछ न सुना. धडाधड गोलिया दाग दी. मां पिता को बचाने के लिए गई तो उन्होंने पिता के पेट में गोली दाग दी. इसके बाद घबराकर हम सभी नीचे झुके और काकू मेरे पिता के पास गई. मां भी वहां थी. यह सब देखकर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था. मैं जहां थी वहां संजय काका का सिर था. चारों ओर खून फैला था. अपनी आंखों के सामने खून बहते देख रही थी. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था.
आगे अतुल मोने की पत्नी ने कहा कि अपने यजमान को बचाने वह आडी हो गई तो आतंकियों ने उन्हें पीछे कर अतुल मोने को गोली मार दी. हेमंत जोशी को भी गोली मार दी. जबकि हम सभी कहते रहे कि हम कुछ नहीं करेंगे.मारिए मत.

हमने अपनी बिंदिया उतार दी, घोडेवाला बचाने आया तो….
कौस्तुभ गणबोटे और संतोष जगदाले को आतंकियों ने मार गिराया. पुणे के इन गहरे मित्र की पत्नियों ने हमले का भयानक किस्सा बयां किया. राकांपा के बडे नेता शरद पवार इनसे मिलने, सांत्वना देेने पहुंचे थे. तब आसावरी ने बताया कि धर्म पूछने पर हमने तत्काल अपनी माथे की बिंदिया उतार दी और अल्ला हो अकबर का नारा भी लगाया. बावजूद इसके आतंकियों ने कौस्तुभ और संतोष को भून दिया. एक घोडेवाला बीच बचाव के लिए आया. उसने आतंकियों से बहस की. इन्हें क्यों मार रहे हो ? इनका क्या कसूर? बावजूद इसके कपडे उतारकर गोलियां चलाई गई. घोडेवालेे को भी आतंकियों ने नहीं बख्शा. यह बताते बताते आसावरी चीख चीख कर रो पडी. वह कहती रही कि आतंकियों ने उनके यजमान से पूछा कि ‘अजान पढता है क्या ?, पढता है क्या कुछ ?’ यह सुनते ही उन लोगों ने नारे लगाए. किंतु उसका कोई असर हमलावरों पर नहीं हुआ. महाराष्ट्र के 6 टूरिस्ट को आतंकियों ने गोलियों से बींध कर मार डाला.


जगदाले की पत्नी ने कहा – अकेली हो गई, इनका चेहरा भी नहीं देख सकती
पहलगाम आतंकी हमले में मृत पुणे के संतोष जगदाले के परिवार से वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भेंट की. उस समय जगदाले की पत्नी प्रगति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सकी. फूट- फूट कर रो पडी. उन्होंने कहा कि जीवन खराब हो गया है. अनाथ हो गई हूं. मेरे यजमान का भी चेहरा नहीं देख सकती. उन्होंने कहा कि जिन आतंकियों ने हमारे लोगों को मारा है. उन्हें भी उसी प्रकार मारिए. हमें दिखाइये.
श्रीमती जगदाले ने पूरा किस्सा बतलाया. उन्होंने कहा आतंकी मास्क लगाकर आए थे. शेर आया, शेर आया कहकर भागते हुए आए. वहां एक घोडेवाले ने विरोध किया तो उसे भी मार डाला. श्रीमती जगदाले ने कहा कि आतंकियों को उसी प्रकार गोलियां मारी जाए. उनके सिर फोडे जाए. खून निकाले. छोटे- छोटे बच्चों के सामने उनके पिता को बेरहमी से मार डाला. प्रगति जगदाले का आक्रोश वहां उपस्थित सभी को द्रवित कर रहा था. उन्होंने शरद पवार से संसद में मुद्दा उठाने भी कहा. उनका लगातार रूदन जारी रहा. जिससे उपस्थित सभी द्रवित होकर रोने लगे थे.

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