पति का दूसरी से संबंध पत्नी को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना नहीं
उच्च न्यायालय का फैसला, विवादित एफआईआर रद्द
नागपुर/ दि.4– पति व्दारा दूसरी महिला के साथ संबंध रखना याने पत्नी को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करना नहीं है, ऐसा फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक मामले सुनाया. इसी निर्णय व्दारा पति व अन्य के खिलाफ विवादित एफआईआर रद्द कर दी. यह फैसला न्यायमूर्तिव्दय महेश सोनक व पुष्पा गणेडिवाल की अदालत ने सुनाया.
आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का अपराध लागू होने के लिए विवाहबाह्य संबंध ही एक मात्र बात भरपुर नहीं है. मामले के पति ने विवाहबाह्य संबंध रखा, इस वजह से उसकी पत्नी को असहाय प्रताडित किया, उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाला कृत्य किया, ऐसा कोई भी आरोप लागू नहीं होगा, ऐसा अदालत ने आगे स्पष्ट किया है. यह मामला वाशिम का है. पुलिस ने 25 जनवरी 2019 को विवादीत एफआईआर दर्ज की थी. संबंधित पत्नी मानसिक बीमार थी. उसपर 2016 से इलाज शुरु था. महिला ने जनवरी 2019 में आत्महत्या की. तब उसकी मां ने दामाद व अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दी. इसके पश्चात दामाद के साथ आपसी समझौता हुआ व दामाद समेत अन्य लोगों ने विवादीत एफआईआर रद्द करने के लिए आवेदन किया था.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का आधार
उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाते समय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का आधार लिया. सर्वोच्च न्यायालय ने पीनाकीन रावल मामले में यही बात स्पष्ट की थी. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के घटनापीठ ने जोत्सेफ शाइन मामले में यह फेैसला उचित साबित हुआ था.