मुंबई/दि.4 – राज्य विधानमंडल के शीतसत्र दौरान दोनोें सभागृहों में मंजूर किये गये महाराष्ट्र सार्वजनिक विद्यापीठ अधिनियम 2016 संशोधन विधेयक के संदर्भ में काफी गलतफहमियां फैलाई जा रही है. इस आशय का प्रतिपादन राज्य के उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री उदय सामंत द्वारा किया गया.
इस संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करते हुए मंत्री उदय सामंत ने कहा कि, इस कानून में संशोधन करते समय राज्यपाल के अधिकारों को किसी भी तरह से कम नहीं किया गया है, बल्कि अन्य सभी राज्यों में कुलगुरू के चयन संबंधी कानूनों को ध्यान में रखते हुए राज्य के कानून में बदलाव करते हुए यह विधेयक सदन के समक्ष रखा गया.
उल्लेखनीय है कि, महाराष्ट्र राज्य सार्वजनिक विद्यापीठ अधिनियम 2016 में किये गये संशोधन को इन दिनों काफी टीकाओं और आलोचनाओं का सामना करना पड रहा है. ऐसे में इस कानून में निश्चित तौर पर क्या बदलाव किया गया है तथा राज्यपाल एवं प्र-कुलपति के तौर पर उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री को क्या अधिकार दिये गये है, इससे संबंधित विस्तृत जानकारी यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में दी गई. जिसमें बताया गया कि, संशोधित कानून के चलते उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री अब सभी विद्यापीठों के प्र-कुलपति रहेंगे तथा कुलपति यानी राज्यपाल की अनुपस्थिति में उनके कर्तव्यों का पालन करेंगे. इसी तरह राज्य में विद्यापीठों के कुलगुरूओं की नियुक्ति संबंधी पध्दति में भी संशोधन किया जा रहा है तथा कुलगुरू की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय समितियों की बजाय पांच सदस्यीय समिती रहेगी और इन पांच सदस्यों में से दो सदस्य राज्य सरकार की ओर से नामनिर्देशित पूर्व कुलगुरू रहेंगे. यह समिती कुलगुरू की नियुक्ति को लेकर नामों की सिफारिश राज्य सरकार से करेगी और सरकार इसमें से दो नाम कुलगुरू को भेजेगी. जिसमें से किसी एक नाम को कुलगुरू के रूप में नियुक्ति हेतु मान्यता दी जायेगी. इसके अलावा नये संशोधन के चलते अधिसभा की सदस्य संख्या में वृध्दि की गई है. साथ ही मराठी भाषा संचालक पद तैयार करते हुए मराठी भाषा मंडल की स्थापना भी की जायेगी.
उपरोक्त जानकारी देने के साथ ही उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री उदय सामंत ने बताया कि, इस नये संशोधित कानून में एलजीबीटी सहित अन्य दुर्बल घटकों के लिए समान संधी मंडल स्थापित करने का प्रावधान भी किया गया है.