अमरावतीमहाराष्ट्र

संभाग में भीषण जलसंकट गहराने की संभावना

ग्रीष्मकाल के पहले ही सूख रहे जलाशय

* अपर वर्धा का जलस्तर भी तेजी से हो रहा कम
अमरावती/दि.26-संभाग मेें इस वर्ष ग्रीष्मकाल में भीषण जलसंकट गहराने के संकेत मिल रहे है. सभी जलाशयों की स्थिति को देखते हुए नागरिकों को जलकिल्लत की समस्या का सामना करना पड सकता है. ग्रीष्मकाल की तपन में तेजी आना अभी बाकि ही है, वहीं अभी से गंभीर जलकिल्लत के संकेत मिल रहे है. संभाग के जलाशयों का जलस्तर कम होता जा रहा है. संभाग के 9 जलाशय ग्रीष्मकाल से पहले ही सूख गए है. जिनमें अमरावती जिले के गडगा प्रकल्प का जलस्तर शून्य हो गया है, बोर्डी नाला प्रकल्प में भी सिर्फ 2.62 दलघमी पानी शेष है. उसी प्रकार अकोला के उमा प्रकल्प, वाशिम के सोनल और एकबुरजी प्रकल्प भी खाली होने जा रहा है. यहीं हाल बुलडाणा के पलढग, कोराडी और तोरणा प्रकल्प का है.

* जलाशयों की स्थिति (आंकडे दलघमी में)
जिला                              प्रकल्प             क्षमता              जलस्तर
अमरावती                         गडगा              26.45                 00
अमरावती                       बोर्डीनाला          12.12                 2.62
अकोला                           उमा                11.68                 3.83
वाशिम                            सोनल               16.92                 7.12
वाशिम                           एकबुरजी           11.97                 4.31
बुलडाणा                        पलढ़ग                7.51                  3.88
बुलडाणा                       कोराडी               15.12                 5.34
बुलडाणा                        तोरणा                7.89                   3.33

अपर वर्धा में 63 प्रतिशत जलसंग्रह
वर्तमान स्थिति में जिले के मोर्शी स्थित अपर वर्धा बांध में केवल 63 प्रतिशत जल संग्रहित रहने से प्रशासन सहित सभी की चिंता बढ गई है. जिले में 56 छोटी-बडी जल-परियोजनाओं की कुल जल संग्रहण क्षमता 1047.30 दलघमी है. जिसमें अपर वर्धा बांध की जल संग्रहण क्षमता 564.05 दलघमी, 7 मध्यम परियोजनाओं की जल संग्रहण क्षमता 256.24 दलघमी तथा 56 छोटी परियोजनाओं की कुल जल संग्रहण क्षमता 227.01 दलघमी पानी है.

फरवरी से गर्मी का दिख रहा असर
जलसंपदा विभाग के अधिकारियों ने बताया, फरवरी की शुरुआत से ही ग्रीष्मकाल के जैसा वातावरण हो गया है. फरवरी महीने में तापमान बढते ही पानी की मांग और इस्तेमाल बढा है. इस कारण अपर वर्धा बांध का जलस्तर भी तेजी से कम होता जा रहा है.

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