महाराष्ट्र

मतदाताओं को आकर्षित करने महायुति और महाविकास आघाडी में होड

चुनावी घोषणापत्र में दिए जा रहे है प्रलोभन

मुंबई /दि.12– महायुति और महाविकास आघाडी यह दोनों दल मतदाताओं को आकर्षित करने में व्यस्त है. चुनावी घोषणापत्र में आकर्षक आश्वासन दिए गए है. इससे आगामी सरकार अपनी ही स्थापित होगी, ऐसा विश्वास दोनों को है. भाजपा सर्वाधिक 148 सीटो पर चुनाव लड रही है. मुख्यमंत्री की ‘मेरी लाडली बहन योजना’ का काफी लाभ होगा, ऐसा उन्हें विश्वास है. महिलाओं के खाते में पैसे भी आ गए है. एक दिन पूर्व महायुति के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस योजना के तहत मिलनेवाली रकम 1500 रुपए की बजाए 2100 रुपए करने की घोषणा की है.
लोकसभा चुनाव में मतदान करने के लिए अनेक दल समर्थक मतदान केंद्र तक पहुंचे नहीं, ऐसा भगवा पार्टी के नेता अनौपचारिक संभाषण में कह रहे है. वह अवकाश के लिए बाहर गए थे. मतदान न होने से भाजपा की सीटे कम होने का अनुमान उनका है. इस कारण अब वे पूरे उत्साह के साथ काम कर रहे है. महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काफी मजबूत है. संघ ने मतदान के पूर्व करीबन 60 हजार छोटी सभा लेने का नियोजन किया है. लोकसभा चुनाव के समय संघ सक्रिय नहीं था. लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव में सक्रिय दिखाई दिया और महाराष्ट्र में भी कार्यरत है. इसके अलावा कैडर बेस पार्टी रहने का भाजपा को भी फायदा होगा. विविध राज्यों के भाजपा नेताओं ने महाराष्ट्र में डेरा जमाया हुआ है. वे अलग-अलग प्रदेशो के चुनाव का संपूर्ण व्यवस्थापन देख रहे है. चुनाव जीतने के लिए यह भी एक बडा घटक है. मध्यमवर्गियों को कुछ नहीं मिला है, ऐसी विचारधारा मुंबई, पुणे सहित शहरी इलाकों में दिखाई दे रही है. मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना से भाजपा को महिलाओं के समर्थन की अपेक्षा रहते इस बाबत मध्यमवर्गीय और करदाताओं में भी निराशा है. महाराष्ट्र से उद्योग गुजरात जा रहे है, यह भी चर्चा जारी है. यह सभी बाते भाजपा के लिए चिंता का कारण है. इस कारण शहरी इलाको में भाजपा का नुकसान होने का डर है.

* शरद पवार और मनोज जरांगे काटेंगे वोट
राष्ट्रवादी के अध्यक्ष शरद पवार का भावनिक आवाहन कुछ क्षेत्र में भाजपा की परेशानी बढा सकता है. भाजपा नेता भी अनौपचारिक संभाषण में यह मान्य कर रहे है. यह अपना अंतिम चुनाव रहने की बात कर शरद पवार ने जनता को साथ देने का आवाहन किया है. मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे मनोज जरांगे ने भी उम्मीदवारी पीछे ले ली है. इस कारण भाजपा का नुकसान होगा. जरांगे का उम्मीदवार रहा होता तो महाविकास आघाडी के वोटो का विभाजन होकर भाजपा को लाभ हुआ होता. कुछ पार्टी के नेताओं के कारण महाराष्ट्र का ओबीसी नेतृत्व समाप्त होने की बात स्थानीय स्तर पर भाजपा के नेता लगातार कह रहे है. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ओबीसी रहे तो भी भाजपा यह ओबीसी का बडा नुकसान हुआ रहने की बात कर रही है. अजीत पवार की राष्ट्रवादी के वोट भाजपा की तरफ जाएगे अथवा नहीं यह डर भी भाजपा नेताओं में है. भाजपा नेताओं ने कहा कि, भाजपा और शिवसेना यह नैसर्गिक भागीदार है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना के वोट भाजपा की तरफ जानेवाले है. लेकिन वे राष्ट्रवादी बाबत पूरे विश्वास के साथ नहीं बोल रहे है.

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