मतदान और मतगणना के आंकडों में अंतर की कोई भी शिकायत नहीं
संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया पारदर्शिता से चली

* राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी की जानकारी
मुंबई /दि. 28– प्रत्यक्ष मतदान की आंकडेवारी और मतगणना की आंकडेवारी में अंतर रहने की कोई भी शिकायत राज्य के किसी भी बूथ पर नहीं आई है. काफी पारदर्शिता से संपूर्ण प्रक्रिया चलाई गई, ऐसा राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. किरण कुलकर्णी ने कहा.
मतदान और मतगणना के आंकडों में कुछ स्थानों अंतर रहने की खबर की पृष्ठभूमि पर डॉ. किरण कुलकर्णी ने अपनी यह प्रतिक्रिया दी. मतदान कितना हुआ, इसकी जानकारी मतदान केंद्र पर उपस्थित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को लिखित दी जाती है. प्रत्येक के हस्ताक्षर इस आंकडेवारी पर लिए जाते है. 17-क फॉर्म पर प्रत्येक बूथ का मतदान दर्ज रहता है. ऐसे सभी फॉर्म एक साथ लेकर ही प्रतिनिधि मतदान केंद्र पर आते है. मतदान के समय दी गई आंकडेवारी और मतगणना शुरु करते समय दी गई आंकडेवारी समांतर है अथवा नहीं यह भी देखा जाता है. शिकायत रहने पर निवारण किए बगैर आगे मतगणना शुरु नहीं की जाती, ऐसा डॉ. कुलकर्णी ने स्पष्ट किया. मतदान व ईवीएम के वोट कहीं-कहीं नहीं जुडे? ऐसी खबरे प्रकाशित हुई थी. इस पर अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. किरण कुलकर्णी ने चुनाव आयोग का पक्ष रखा. किसी स्थल पर ऐसी भी संभावना रहती है कि, ईवीएम में खराबी आकर डिस्प्ले चला जाता है. ऐसे समय उस मशीन को बाजू में रखकर अन्य मतगणना की जाती है. संपूर्ण मतगणना के बाद नंबर 1 के वोट मिले और नंबर 2 के वोट मिले उम्मीदवार के वोट का अंतर यह इस डिस्प्ले न रहे मशीन के वोटों से यदि अधिक रहा तो उस मशीन के वोट नहीं गिने जाते. डिस्प्ले न रहे मशीन के वोट गिनने की सुविधा रहती है. इस मशीन के वीवीपैट की पावती की गणना की जाती है, ऐसा डॉ. कुलकर्णी ने कहा.
* अंतर दिखने के क्या-क्या कारण रह सकते है?
– मतदान की आंकडेवारी मतदान समाप्त होने के बात रात चुनाव आयोग की तरफ से अखबारों को भेजी जाती है. लेकिन वह आंकडेवारी अंदाजित रहती है. जो आंकडेवारी भेजी जाती है उसमें भी यह आंकडेवारी अंतिम नहीं रहती ऐसा स्पष्ट रुप से लिखा रहता है. लेकिन मतदान के दिन भेजी गई आंकडेवारी और चुनाव नतीजे के बाद जारी हुई आंकडेवारी में नियमानुसार की गई कार्रवाई के कारण अंतर रह सकता है.
– ऐसा अंतर दिखाई देने के अन्य कुछ कारण भी है. मतगणना संदर्भ में चुनाव आयोग ने एक निर्धारित कार्यप्रणाली में किन कारणों से यह अंतर दिख सकता है और उसके तकनीकी कारण क्या है, यह भी स्पष्ट किया है.
– मतदान शुरु करने के पूर्व सुबह 6 से 7 बजे के दौरान मॉक पोल लिया जाता है. उस समय राजनीतिक दल के और उम्मीदवारों के प्रतिनिधि उपस्थित रहते है. लेकिन मतदान केंद्राध्यक्ष की तरफ से मॉक पोल के वोट कभी-कभी क्लिअर करना रह जाता है और उसी पर मतदान होता है. मतगणना के समय इन सब मुद्दों को ध्यान में रखकर मतगणना की जाती है, ऐसा भी डॉ. कुलकर्णी ने कहा.