मुंबई/दि.१५ – सर्वसामान्य जनता सहित सरकारी महकमों को मनमाने दरों पर मास्क बेचनेवाली कंपनियों पर अंतत: सरकार ने अंकूश लगाया गया और मास्क की कीमतोें पर नियंत्रण लाने का निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया है. बता दें कि, विगत दिनों मास्क की कीमतों में हो रही गडबडियां उजागर हुई थी. जिसके बाद सरकार ने सुधाकर qशदे की अध्यक्षता में एक समिती गठित की थी. पश्चात इस समिती ने विनस व मैग्नम नामक मास्क निर्माता कंपनियों द्वारा विगत कुछ माह के दौरान की गई सैंकडों करोड रूपयों की लूट को आंकडों के साथ सामने रखा. जिस पर मंत्रिमंडल की बैठक में विस्तारपूर्वक चर्चा हुई.
इस बैठक में राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, अन्न व औषध प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे, जलसंपदा मंत्री जयंत पाटिल ने मास्क की कीमतों पर नियंत्रण रखने की भुमिका रखी. इस समय इन सभी मंत्रियों का कहना रहा कि, एक ओर मास्क नहीं लगाने पर सरकारी अधिकारियों द्वारा जनता से दंड वसूला जा रहा है. वहीं दूसरी ओर मास्क निर्माता कंपनियों द्वारा मास्क के लिए अनाप-शनाप रकम वसूली जा रही है. जिनके खिलाफ सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाये जा रहे है. यह किसी भी तरह से योग्य नहीें है. इस समय कुछ लोगों का कहना रहा कि, सरकार द्वारा जो मास्क खरीदे जाते है, केवल उन मास्क के लिए ही दरों को नियंत्रित किया जाये. जिस पर आक्षेप लेते हुए इन मंत्रियों का कहना रहा कि, सरकार केवल २० प्रतिशत मास्क खरीदती है और शेष ८० प्रतिशत मास्क आम जनता द्वारा खरीदे जा रहे है. ऐसे में हर एक मास्क की कीमत पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए, ताकि आम जनता को इससे राहत मिले. इस समय यह संदेह भी उपस्थित किया गया कि, यदि मास्क की कीमतों पर सरकारी नियंत्रण लाया गया तो संबंधित कंपनियों द्वारा उत्पादन को रोक कर कृत्रिम किल्लत पैदा की जा सकती है. जिसका निराकरण करते हुए कहा गया कि, सरकार में ऐसे अनेक अधिकारी है, जो ऐसी स्थिति में इन कंपनियों को काम पर लगा सकते है.
एक वरिष्ठ सचिव के मुताबिक मंत्रिमंडल की इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रि राजेश टोपे, एक अन्य मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने मास्क की दरों पर सरकारी नियंत्रण रखने हेतु जबर्दस्त प्रयास किये. जिसके चलते मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्मति से मास्क की कीमतोें को नियंत्रित करने के बारे में निर्णय हुआ.