महाराष्ट्र

विद्युत बिलों में कोई राहत नहीं मिलेगी!

वित्त विभाग (Department of Finance) ने रोका १८०० करोड का प्रस्ताव

  • राज्य सरकार (State Government) की घोषणा ‘फुस्स‘ साबित होगी

हिं.स./मुंबई – लॉकडाउन काल के दौरान जारी हुए भारीभरकम रकमवाले विद्युत बिलों से आम नागरिकों को राहत देने के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा की गई घोषणा ‘फुस्स‘ साबित हुई है. राज्य सरकार से संबंधित विश्वस्त सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक विद्युत बिलों से राहत देने हेतु जरूरी रहनेवाले १८०० करोड रूपयों का प्रस्ताव वित्त विभाग द्वारा रोक दिया गया है.

जिसके चलते विद्युत बिलों में छूट मिलने की प्रतिक्षा कर रहे लोगों को निराशा का सामना करना पडेगा. साथ ही उन्हें लॉकडाउन काल के दौरान जो भारी भरकम राशि का विद्युत बिल मिला है, उसकी रकम उन्हें पूरी भरनी होगी. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक मंत्री ने बताया कि, बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई और उर्जा मंत्री नितीन राउत भी पूरी तरह शांत है. ज्ञात रहें कि, आम विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत बिलों में राहत देने हेतु विद्युत कंपनियों ने राज्य सरकार से करीब २ हजार करोड रूपयों की मांग की थी. जिससे यह साफ हो गया था कि, सामान्य नागरिकों को विद्युत बिलों में राहत देने हेतु सरकारी तिजोरी खोलना जरूरी है. लेकिन वित्त विभाग ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया है. वित्त विभाग के मुताबिक राज्य की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए इतनी बडी रकम देने के लिए सरकार सक्षम नहीं है. अत: इस प्रस्ताव को रोक दिया गया है.

बता दें कि, वित्त मंत्रालय का भी जिम्मा अपने पास रखनेवाले राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने विगत दिनों उर्जा मंत्री व विद्युत अधिकारियों के साथ बैठक के बाद घोषणा की थी कि, लॉकडाउन के बाद राज्य सरकार एकमुश्त विद्युत बिल प्राप्त करनेवाले विद्युत उपभोक्ताओें को राहत देने पर विचार कर रही है. साथ ही उर्जा मंत्री राउत ने भी कहा था कि, राज्य सरकार नागरिकों की सहायता हेतु प्रतिबध्द है. मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय को लेकर निर्णय लिया जाना था, लेकिन पांच सप्ताह बाद भी राज्य सरकार इस विषय को लेकर कोई निर्णय नहीं ले सकी है और बुधवार २६ अगस्त को हुई कैबिनेट बैठक में इस विषय पर कोई चर्चा भी नहीं हुई. वहीं दूसरी ओर महावितरण के अधिकारियों ने अपनी ओर से स्पष्ट कर दिया है कि, इस मामले में अंतिम निर्णय राज्य सरकार को ही लेना है और सरकार द्वारा निधी दिये जाने पर ही विद्युत बिलों में राहत दी जा सकेगी

ऐसे दी जानेवाली थी राहत

राज्य सरकार ने विद्युत बिलों में राहत देने की घोषणा करते समय महावितरण कंपनी के समक्ष कुछ सिफारिशे रखी थी. जिसमें १०० यूनिट तक का विद्युत बिल माफ करने, १०१ से ३०० यूनिट तक के विद्युत बिल में ५० फीसदी तथा ३०१ यूनिट से अधिकवाले विद्युत बिलों में २५ फीसदी रकम माफ करने और अप्रैल माह से लागू की गई नई दरों को फिलहाल अमल में नहीं लाने की सिफारिश की गई थी. लेकिन अब इस पूरे प्रस्ताव को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

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