महाराष्ट्र

यह तो लाचार मुख्यमंत्री की लाचार सभा

सांसद नवनीत राणा का सीएम ठाकरे पर फिर ‘हल्लाबोल’

मुंबई/दि.16- शिवसेना द्वारा दो दिन पूर्व मुंबई में आयोजीत की गई सभी लाचार मुख्यमंत्री की लाचार सभा थी. इस आशय के शब्दों में अमरावती जिले की सांसद नवनीत राणा ने सीएम ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि, इस सभा में दिये गये अपने भाषण के दौरान सीएम उध्दव ठाकरे ने किसानों की समस्याओं, बेरोजगारी व लोडशेडिंग को लेकर एक भी शब्द नहीं कहा, बल्कि केवल दूसरों की कमियां गिनाने के लिए यह सभा आयोजीत की गई थी, ताकि अपनी गलतियों को छिपाया जा सके.
गत रोज सांसद नवनीत राणा ने दिल्ली में एक पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए सीएम उध्दव ठाकरे सहित शिवसेना को जमकर आडे हाथ लिया. उन्होंने कहा कि, सीएम उध्दव ठाकरे विगत ढाई वर्ष के दौरान अपने कार्यालय में नहीं गये और उनके बेटे व मंत्री आदित्य ठाकरे बता रहे है कि, सीएम ठाकरे ने विदर्भ व मराठवाडा का दौरा किया था. उन्हें चाहिए कि, इन ढाई वर्षों के दौरान सीएम उध्दव ठाकरे विदर्भ क्षेत्र के किन-किन गांवों में गये और उन्होंने वहां पर किसानो की किन समस्याओं को हल किया, इसकी विस्तृत जानकारी सबके सामने रखी जाये. सांसद नवनीत राणा ने यह भी कहा कि, महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी की सरकार का गठन होने के बाद पहले की तुलना में तीनगुना अधिक बेरोजगारी बढ गई है. किंतु इस पर भी सीएम उध्दव ठाकरे ने एक भी शब्द नहीं कहा. ऐसे में उन्हें चाहिए कि, विगत ढाई वर्षों के दौरान उन्होंने कितने लोगों को रोजगार दिया, इसका भी ब्यौरा प्रस्तुत किया जाये.
इस समय सांसद नवनीत राणा ने औरंगाबाद के नामांतरण को लेकर भी सीएम उध्दव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि, औरंगजेब की कब्र पर फूल अर्पित करनेवाले लोगों के खिलाफ सीएम उध्दव ठाकरे के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला. किसी समय शिवसेना की भूमिका औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने की थी, लेकिन दो दिन पूर्व हुई सभा के दौरान दिये गये भाषण में सीएम उध्दव ठाकरे ने औरंगाबाद का नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं रहने की बात कही. यह सीधे-सीधे अपनी खुद की भूमिका से पलट जाने की तरह है. क्योंकि वे अच्छी तरह से जानते है कि, अगर उन्होंने औरंगाबाद का नाम बदलने की कोशिश भी की, तो कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा उनका साथ छोड दिया जायेगा और उनकी सत्ता चली जायेगी. ऐसे में सत्ता के भय की वजह से सीएम उध्दव ठाकरे अपने सिध्दांतों से समझौते पर समझौते करते जा रहे है. सांसद नवनीत राणा के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए जम्मु कश्मीर से धारा 370 को रद्द कर दिया और यहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इतने लाचार है कि, वे अपने राज्य में एक शहर का नाम तक नहीं बदल सकते. क्योंकि ऐसा करने पर उनके हाथ से सत्ता चली जायेगी. सांसद नवनीत राणा के मुताबिक आज यदि शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे जीवित होते, तो औरंगजेब की कब्र पर फूल अर्पित करनेवालों को उसी कब्र में गाड दिया होता. किंतु उनके ही बेटे और शिवसेना के पार्टी प्रमुख आज अपनी कुर्सी और सत्ता को बचाये रखने हेतु इतने अधिक लाचार है कि, उनके मुंह से इसका विरोध करना तो दूर, एक शब्द तक नहीं निकला रहा.
सांसद नवनीत राणा ने यह भी आरोप लगाया कि, एक सांसद ने मुख्यमंत्री ठाकरे को गदा भेंट देनी चाही, तो उस गदा को अपने हाथों से स्वीकार करने की बजाय सीएम ठाकरे पीछे हट गये और उन्होंने इस गदा को हाथ भी न लगाते हुए एक तरह से महाबलि हनुमान का अपमान किया. सांसद नवनीत राणा के मुताबिक यह सभा वस्तुत: मुंबई मनपा चुनाव को ध्यान में रखकर आयोजीत की गई थी, लेकिन इसे लेकर खुद मुंबई वासियों में कोई उत्साह नहीं था. ऐसे में समूचे राज्य से लोगों को इस सभा के लिए लाया गया था. परंतू इसके बावजूद यह सभी लाचार सभा दिखाई दी. साथ ही इस सभा में सीएम उध्दव ठाकरे ने एक बार भी इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि, सीएम पद के इच्छुक रहनेवाले व्यक्ति द्वारा विधानसभा का चुनाव लडा जाना चाहिए अथवा नहीं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने कभी कोई चुनाव नहीं लडा और वे किसी सत्ता पद पर नहीं बैठे, बल्कि शिवसेना को आगे बढाते रहे और उनके लिए हमेशा एक आदरयुक्त स्थान भी रहा. किंतु उन्हीं के बेटे उध्दव ठाकरे ने सत्ता सुख प्राप्त करने के लिए शिवसेना के विचारों और सिध्दांतों को तिलांजली दे दी है. यहां तक की अब सीएम उध्दव ठाकरे को अपने पिता स्व. बालासाहब ठाकरे की भगवा शॉल से भी दिक्कत होने लगी है.

* हिम्मत है तो महाराष्ट्र में आकर बोलो
सांसद नवनीत राणा द्वारा दिये गये बयान को लेकर अब शिवसेना नेता दीपाली सैय्यद ने उन पर निशाना साधा है. जिसके तहत दीपाली सैय्यद ने ट्विट करते हुए कहा कि, रशमी ठाकरे को तुम्हारी तरह झूठे दस्तावेजों का प्रयोग करते हुए चुनाव लडने की आदत नहीं है और हमारे यहां बाप को छिपाने की पध्दत भी नहीं है. दिल्ली में बैठकर बडबड करने की बजाय हिम्मत है, तो महाराष्ट्र में आकर बोलकर दिखाओ. उल्लेखनीय है कि, दीपाली सैय्यद ने इससे पहले राकांपा प्रमुख शरद पवार पर आपत्तिजनक टिप्पणी करनेवाली केतकी चितले को आडे हाथ लिया था. साथ ही कहा था कि, केतकी चितले द्वारा नवनीत राणा को फालो किया जाता है और ये दोनों ही मानसिक रोगी है, ऐसा भंगार मटेरियल महाराष्ट्र को जंग लगा सकता है.

 

 

 

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