मुंबई/दि.१५ – पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में महाराष्ट्र और मुंबई में कोरोना को लेकर वर्तमान स्थिति और राज्य के आंकड़ों को दर्शाते हुए तंज किया है. उन्होंने लिखा है कि अभी समय राजनीति करने का नहीं है, बल्कि जनता के साथ खड़ा होने का है. फडणवीस ने विशेष कारणों से पत्राचार करने की कहते हुए पीएम मोदी द्वारा हाल ही में भेजे गए सोनिया गांधी के कुछ पत्र और कांग्रेस नेताओं के बयानों को लेकर टिप्पणी की है.
देवेंद्र फडणवीस ने लिखा है कि हाल ही में सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे कुछ पत्र एवं कांग्रेस नेताओं के बयान पढ़ने में आए. शायद कुछ मुद्दें आपके ध्यान में नहीं लाये गये, ऐसा मुझे प्रतीत हुआ है, बस केवल उन्हीं बातों को आपके सम्मुख रखें इस पत्राचार का औचित्य है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा है कि कई महीनों से हम सब कोरोना की महामारी का सामना कर रहे हैं. ऐसे में कई सवाल देश की स्थिति पर उठाए गए. यह तो आपके संज्ञान में होगा ही कि, समूचे देश की स्थिति का विचार हम इस महामारी के परिपेक्ष्य में करते है तब महाराष्ट्र की स्थिति को कतई नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.
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पत्र में किया महाराष्ट्र के आंकड़ों का जिक्र
देवेंद्र फडवीस ने पत्र में लिखा है कि पूरे अगर हम 13 मई 2021 की बात करें तो देश के कुल कोरोना संक्रमण में 22 प्रतिशत संक्रमण का प्रमाण महाराष्ट्र का ही है, जो कई महीनों तक 30 प्रतिशत से भी अधिक रहा. देश की कुल मौतों में महाराष्ट्र का प्रतिशत आज भी 31 फीसदी के करीब है. अगर सक्रिय रोगी की बात करें तो 14 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र में है. तो यह बात साफ है और हम आशा करते है कि, आप भी इस बात से सहमत होंगी कि, यदि महाराष्ट्र के हालात में जल्द सुधार होता है तो देश के उपलब्ध संसाधनों पर दबाव कम होगा और इस संकट का हम पूरी ताकत के साथ मुकाबला कर सकेंगे.
उन्होंने लिखा कि जैसा कि आप जानती हैं कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं है, फिर भी केंद्र की मोदी सरकार पूरी ताकत के साथ महाराष्ट्र की जनता के साथ खड़ी है. देश भर में जो भी राहत और सहायता उपलब्ध कराई गई उसमें महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा मदद मिली है. महाराष्ट्र को 1.80 करोड़ वैक्सीन दी गयी, 8 लाख से अधिक रेमडेसिविर महाराष्ट्र को प्राप्त हुईं. अगर ऑक्सीजन की बात करें तो करीब 1750 मेट्रीक टन की आपूर्ति हो रही है. वेंटीलेटर्स, क्चद्बक्क्नक्क तथा ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर भी बड़े पैमाने पर दिये गए हैं. हां यह बात अलग है कि, अपनी नाकामी छुपाने के लिए कई नेता मोदी सरकार पर टिप्पणी करने को ही अपना अंतिम लक्ष्य समझते हैं.
उन्होंने लिखा है कि प्रदेश सरकार और मीडिया का एक वर्ग मुंबई को ही महाराष्ट्र समझने की भूल करते है, परंतु मुंबई की भी परिस्थिति देखे तो यहां भी टेस्ट की कमी, कम टेस्ट में भी रैपिड एंटीजन टेस्ट का बहुतायत में समावेश करके एक नया मॉडेल बनाया जा रहा है. कोरोना के कारण होने वाली मौतों को भी छुपाने का काम किया जा रहा है.
‘डेथ ड्यू टू अदर रिझन’ इस श्रेणी में भी जहां महाराष्ट्र की अन्य जिलों को मिलाकर 0.8 प्रतिशत मौते दर्ज की गई, वहीं मात्र मुंबई में यह 40 प्रतिशत है. हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि, इन मौतों को छुपाया जाए. मुंबई में सालाना होने वाली मौतें औसतन 88,000 के आसपास हैं, लेकिन 2020 में इसमें 20,719 की वृद्धि हुई, इनमें से कोरोना के कारण बतायी गयी मौतें 11,116 थीं. 2020 में 9603 कोरोना मौतें छुपाई गई. यहीं क्रम इस वर्ष भी जारी है. क्या इतने बड़े पैमाने पर मौतों को छिपाना ही महाराष्ट्र मॉडल है? आज भी पार्थिव पर अंत्यविधी के लिए वेटिंग पीरियड है.
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पिछड़े क्षेत्र भगवान भरोसे
देश में हर रोज 4000 मौते रेकॉर्ड हो रहीं, तो उसमें 850 केवल महाराष्ट्र सें हैं. इसका मतलब 22 फीसदी मौतें केवल महाराष्ट्र में ही रेकॉर्ड हो रही हैं और सरकार मात्र अपनी वाहवाही करने में व्यस्त है. महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी की सरकार ने मानों मराठवाडा, विदर्भ, उत्तर महाराष्ट्र जैसे पिछडे क्षेत्रों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. यहां कोई मदद नहीं दी जा रही. ग्रामीण इलाकों में ना तो अस्पताल के बेड्स उपलब्ध है और ना ही इलाज.
रेमडेसिवीर और ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है. उच्च न्यायालयों के विभिन्न खंडपीठ को हस्तक्षेप कर रेमडेसिविर आपूर्ति के लिए आदेश जारी करने पड़ रहे हैं. महाराष्ट्र में इससे पूर्व में इतनी भेदभावपूर्ण नीति कभी नहीं देखी. आज ग्रामीण महाराष्ट्र में कोरोना का फैलाव एवं कोरोना से होने वाली मौत का तांडव यह अप्रत्याशित है. रेमडेसिविर की कालाबाजारी में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर पकड़े जाते हैं, तो उनका पीसीआर तक नहीं मांगा जाता, यह आज महाराष्ट्र के हालात हैं.
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गरीबों के लिए नहीं कोई सहायता
उन्होंने लिखा है कि आज भी सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित केस के कारण महाराष्ट्र में लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दी गई है. कई बार संक्रमण कम रहते यह प्रयास भी लाजमी है, परंतु ऐसा करते समय गरीब, किसान तथा उपेक्षित वर्गों को सहायता देना, किसी भी सरकार का कर्तव्य होता है, लेकिन जहां देश के कई छोटे-बड़े राज्य सहायता देते नजर आते हैं, वहीं महाराष्ट्र में अब तक कोई पैकेज किसी भी वर्ग को नहीं दिया गया. केवल बजट के आंकड़ों की हेराफेरी की गयी.
यहां तो सोशल मीडिया द्वारा टूटी हुई छवि सुधारने के लिए टेंडर पास किए जा रहे है, लेकिन कोई मदद किसी को नहीं हो रही. एक तरफ कोरोना का कहर, दूसरी ओर प्रदेश की सरकार द्वारा, जिसमें आप की कांग्रेस पार्टी भी एक हिस्सेदार है, कोई मदद ना करना राज्य की जनता के लिए बेहद पीड़ा दायक अनुभव है. दे रहे हैं सुझाव
इतना सब होने के बावजूद एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका हम महाराष्ट्र में निभा रहे हैं. हम ये जानते है कि इस संकट की घड़ी में सरकार को सुझाव देना तो हमारा कर्तव्य है, लेकिन नकारात्मक माहौल की निर्मिती ना हो, यह भी हमारे प्रयास होने चाहिए. केवल टीका-टिप्पणी से संकट की इस घड़ी में कोई रास्ता नहीं निकलेगा.
केंद्र की सरकार पर टिप्पणी करते वक्त जहां आपकी या आपकी समर्थन से चलने वाली सरकारें जिन राज्यों में है, वहां क्या चल रहा है, इसे भी एक बार स्वयं के विचार सम्मुख रखना दायित्व बनता है. आशा है की महाराष्ट्र की यह स्थिति आपके सम्मुख आयी होगी. यह समय राजनीति करने का बिल्कुल नहीं है बल्कि जनता के साथ एकजुटता के साथ खड़ा होने का है. हमारी अपेक्षा है कि अपनी सरकारों को भी आप उचित नसीहत देंगी.
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पूरा विश्व कर रहा पीएम मोदी की तारीफ
राजनीति में और नकारात्मक भाव पैदा करने से कुछ नहीं होगा. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों को पूरा विश्व आज देख रहा है और सराहना भी कर रहा है. यही कारण है कि इस महामारी में पूरा विश्व, भारत के साथ खड़े होकर भारत को हरसंभव मदद कर रहा है. मुझे इस बात का भी आश्चर्य है कि भारतीय वैक्सीन को सिरे से नकारने वाली आपकी कांग्रेस पार्टी एवं आपके मुख्यमंत्री गण अब वैक्सीन पर राजनीति कर रहे हैं, परंतु भारत सरकार ने वैक्सीन निर्माण में अभूतपूर्व पहल की है.
हर महीने निर्माण बढ़ रहा है एवं अगस्त से दिसंबर के बीच 200 करोड़ वैक्सीन निर्मित होगी. मुझे खुशी है की पहले विरोध करने के बाद अब भारतीय वैक्सीन की शक्ति पर आपका स्वयं तथा आपकी पार्टी का विश्वास बढ़ रहा है. अपेक्षा है कि इस संकट की घड़ी में आपकी पार्टी कोरी राजनीती छोड़कर रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी, बाकि यह तो सर्वविदित है कि, यह पब्लिक है, ये सब जानती है.