महाराष्ट्र

इस बार 150 लाख हेक्टर पर खरीफ की बुआई

कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में अंदाज

पुणे दि.26– अपेक्षित एवं समाधानकारक बारिश होने पर राज्य में 150 लाख हेक्टर पर खरीफ की बुआई होगी. इसमें सर्वाधिक सोयाबीन 50, कपास 42 एवं चावल की 16 लाख हेक्टर पर बुआई होने का अंदाज कृषि विभाग ने खरीफ मौसम की समीक्षा बैठक में व्यक्त किया है.
राज्य में कुल बुआई योग्य क्षेत्र 174 लाख हेक्टर है. इसमें से खरीफ सत्र का क्षेत्र 151.33 लाख हेक्टर है. इस बार समय पर व अपेक्षित मौसमी बारिश होने पर 149.60 लाख हेक्टर पर खरीफ मौसम में बुआई होने का अंदाज कृषि विभाग का है. राज्य में सर्वाधिक 50 लाख हेक्टर पर सोयाबीन की बुआई होने का अंदाज है. इसके साथ ही बीटी कपास 42 लाख हेक्टर, चावल 16 लाख हेक्टर, तुअर 13 लाख हेक्टर, मक्का 9.50 लाख हेक्टर, बाजरी 5 लाख हेक्टर, उड़द 4 लाख हेक्टर, मूंग 3.50 लाख हेक्टर, मूंगफली 2 लाख हेक्टर व तिल्ली की 0.10 लाख हेक्टर पर बुआई होने की संभावना है.
* 43.135 लाख टन खाद की आवश्यकता
खरीफ सत्र के लिए कुल 43.135 लाख टन खाद की आवश्यकता है. इसमें युरिया 13.736 लाख टन, डीएपी 4.50 लाख टन, एमओपी 1.90 लाख टन, संयुक्त खाद 15.50 लाख टन एवं एसएसपी 7.50 लाख टन खाद की आवश्यकता है. ऐन समय पर किल्लत न हो, इसके लिए 50 हजार टन युरिया, 25 हजार टन डीएपी का सुरक्षित संचयन किया जाएगा. इसके साथ ही नेैनो युरिया के 500 मिली की 17 लाख बोतलों का वितरण करे हेतु मंजूरी मिली है. इन 17लाख बोतलों का किसानों द्वारा उपयोग किए जाने पर 76 हजार 500 टन पारंपरिक युरिया की बचत होगी. यह जानकारी निविष्ठा व गुण नियंत्रक विभाग के संचालक विकास पाटील ने दी.
* 19 लाख टन बीजों की आवश्यकता
खरीफ सत्र के लिए विविध फसलों के 19 लाख 20 हजार 537 क्विंटल बीजों की आवश्यकता है. सोयाबीन का क्षेत्र बड़ा होने के कारण कुल 37 लाख 50 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता है. इसमें से 35 प्रतिशत बीज बदल दर के अनुसार 13 लाख 12 जार 500 नये संकरित बीजों की आवश्यकता है. गत तीन वर्षों से राज्य के किसान बड़े पैमाने पर घर की सोयाबीन के बीज इस्तेमाल करते हैं. इस बार किसानों के पास करीबन 42 लाख टन सोयाबीन बीज शेष है. जिसके चलते उन्हें किल्लत महसूस नहीं होगी. ऐसा कृषि विभाग का दावा है.

राज्य में आवश्यकता से अधिक बीज उपलब्ध है. सोयाबीन बीजों की किल्लत नहीं होगी. एल-निनो के संभावित परिणाम की दखल लेकर खरीप नियोजन किया गया है.
– दिलीप झेंडे, संचालक, कृषि विभाग (विकास एवं विस्तार)

 

Related Articles

Back to top button