महाराष्ट्र

इस बार महिलाएं साबित होंगी ‘गेम चेंजर’

35 करोड महिलाओं द्वारा मतदान किये जाने की संभावना

मुंबई/दि.23– हाल ही में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत मतदान हुआ. इस बार मतदान के लिए बडे पैमाने पर महिलाओं ने अपने नामों का पंजीयन कराया है. परंतु पंजीयन करने के बावजूद भी मतदान नहीं करने वाली महिलाओं की संख्या काफी अधिक है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने विगत कुछ चुनावों को लेकर महिलाओं से संबंधित संशोधन रिपोर्ट हाल ही में प्रकाशित की है. इसके मुताबिक मतदाता सूची में नाम दर्ज रहने के बावजूद भी मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचने वाली महिलाओं की संख्या महाराष्ट्र सहित बिहार, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में अधिक है. इस रिपोर्ट के आंकडों को देखते हुए मतदान के लिए घर से बाहर निकलने वाली महिलाओं का प्रतिशत को बढाना संभव हो सकेगा.

इस बार के चुनाव में 33 करोड महिलाओं द्वारा मतदान किया जाएगा, ऐसा अनुमान है. वहीं थोडा बहुत प्रयास करने पर देशभर में और भी 13 करोड महिलाओं द्वारा मतदान किया जा सकता है. यदि ऐसा होता है, तो वर्ष 2024 के चुनाव सहित आगे के सभी चुनावों में महिलाएं ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है, ऐसा दांवा भी इस संशोधन रिपोर्ट में किया गया है. विगत 5 वर्षों के दौरान जिन 23 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, उनमें से 18 राज्यों मेें महिलाओं का सहभाग पुरुषों के तुलना में अधिक था. विशेष यह भी रहा कि, इनमें से 10 राज्यों में पहले की सरकार ने ही सत्ता में वापसी की. साथ ही केरल, गोवा, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश व छत्तीसगढ इन राज्यों के चुनाव में महिलाओं के वोट निर्णायक साबित हुए वहीं तेलंगना, हिमाचल प्रदेश कर्नाटक व सिक्कीम में इस बार के चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत निर्णायक साबित होगा, ऐसा अनुमान भी इस रिपोर्ट में दर्ज किया गया है.

* राजनीतिक सहभाग में योजनाओं का हाथ
शिक्षा में वृद्धि, राजनीतिक सजगता, आर्थिक उन्नति व निर्णय प्रक्रिया में सक्रियता के साथ ही महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं की महत्वपूर्ण भागिदारी महिलाओं के राजनीतिक सहभाग के पीछे मुख्य वजह है. ऐसा इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है. गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, उत्तराखंड व तेलंगणा जैसे राज्यों में जनधन खातों में अच्छी खासी वृद्धि हुई और इन राज्यों में महिलाओं का चुनाव में सहभाग भी बढा. यह एक तरह से महिलाओं द्वारा नि:शुल्क योजनाओं की ऐवज में दिया गया अपना जवाब है. साथ ही इससे यह भी स्पष्ट होता है कि, महिलाओं को शाश्वत विकास व सामाजिक सुरक्षा चाहिए होती है.

* महिला प्रतिनिधियों की संख्या अपेक्षाकृत कम
संसद सहित राज्यों के विधान मंडल में महिला जनप्रतिनिधियों का सहभाग काफी कम होता है. पहली लोकसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या महज 5 फीसद थी, जो 17 वीं लोकसभा में बढकर केवल 15 फीसद तक पहुंच पायी. वहीं विधानसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या 9 फीसद ही पहुंच पायी. केंद्र एवं राज्य में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने वाला 106 वां संविधान संशोधन जब जनगणना के बाद लागू होगा. तब यह प्रतिशत निश्चित तौर पर आगे बढेगा.

* महिलाओं का आर्थिक सक्षमीकरण (भागीदारी प्रतिशत)

  • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
  • अटल पेंशन योजना
  • मुद्रा योजना
  • प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
  • प्रधानमंत्री जनधन योजना
  • स्टैंड अप इंडिया

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