आपातकाल के खिलाफ लढनेवाले को अब नहीं मिलेगा मानधन
आर्थिक दिक्कतों के चलते राज्य सरकार ने लिया फैसला
हिं.स./दि.३१
मुंबई -कोरोना वायरस के लगातार फैलते संक्रमण और इसकी वजह से उद्योग, व्यवसायों पर हुए विपरित परिणाम की वजह से राज्य को होनेवाली राजस्व आय में काफी कमी आयी है. जिसके चलते राज्य सरकार ने अपने विविध खर्चों में कटौती करनी शुरू की है. जिसके तहत राज्य सरकार ने एक और निर्णय लेते हुए वर्ष १९७५ के दौरान देश में लगाये गये आपातकाल के खिलाफ लडनेवाले व्यक्तियों को दिया जानेवाला मानधन बंद करने का निर्णय लिया है. इस संदर्भ में शुक्रवार को जारी किये गये आदेश में सरकार की ओर से मौजूदा हालात में अपनी आर्थिक समस्याओं व दिक्कतों को देखते हुए वर्ष १९७५ से ७७ के दौरान लोकतंत्र के लिए संघर्ष करनेवाले व्यक्तियों के सम्मान व यथोचित गौरव करने की नीति को बंद करने का निर्णय लिया गया है. साथ ही इस कार्यक्रम के प्रलंबित दायित्वों का निराकरण किस विभाग के स्वीकृत बजटीय प्रावधानों के अनुसार किया जायेगा. बता दें कि, राज्य में आपातकाल के दौरान १९ माह तक जेल में रहनेवाले मिसा बंदियों को वर्ष २०१८ से मानधन दिये जाने की शुरूआत की गई थी. जिसके तहत हर एक मिसा बंदी को प्रतिमाह १० हजार रूपयों का मानधन दिया जाता था. साथ ही संबंधित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उसकी पत्नी को पांच हजार रूपये का मानधन देने की व्यवस्था की गई थी. qकतु राज्य की पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार द्वारा लिये गये इस निर्णय को लेकर विगत २३ जुलाई को मौजूदा राज्य सरकार द्वारा मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा की गई. जिसमें मिसा बंदियों को मानधन देने की योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया.