महाराष्ट्र

‘उन’ 11 बच्चों के बलिदान से अब हजारों बच्चों को मिलेगा जीवनदान

भीषण अग्निकांड के बाद भंडारा जिला अस्पताल का हुआ कायाकल्प

  • 1 वर्ष पहले नवजात शिशु कक्ष में लगी थी भीषण आग, 11 बच्चों की झुलसकर हुई थी मौत

भंडारा/दि.10 – एक वर्ष पूर्व भंडारा के जिला सामान्य अस्पताल में स्थित नवजात शिशु कक्ष में भीषण आग लगी थी. जिसमें 11 नवजात शिशुओं की बूरी तरह से झूलस जाने और दम घुटने की वजह से मौत हुई थी. जिसे लेकर समूचे राज्य में जबर्दस्त हंगामा मचा था. इस आग के लिए मुख्य रुप से इलेक्ट्रीक तारे की पूरानी वायरिंग तथा शॉर्ट सर्किंट को प्रमुख वजह बताया गया था. ऐसे में यहां पर नई इलेक्ट्रीक फिटींग करने अग्नीशमन व्यवस्था उपलब्ध कराने और नये सीरे से नवजात शिशु कक्ष बनाने हेतु के लिए सरकार ने करीब साडे तीन करोड रुपयों की निधि उपलब्ध करायी. हालांकि कोविड संक्रमण की दूसरी लहर की दौरान काम में व्यवधान आने की वजह से नवजात शिशु कक्ष एक वर्ष बाद भी शुरु नहीं हो पाया है. किंतु अग्नीकांड में मारे गये उन 11 बच्चों के बलिदान के वजह से आज भंडारा जिला अस्पताल की व्यवस्था और सुविधाओं में आमूलाग्र बदलाव हो गया है. जिसके चलते अब हजारों नवजात बच्चों व बाल मरीजों को जीवनदान मिलेगा, ऐसे में कहा जा सकता है कि, उन 11 बच्चों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया है.
बता दें कि, विगत वर्ष 9 जनवरी 2021 की सुबह भंडारा जिला अस्पताल के नवजात शिशु अतिदक्षता कक्ष में अचानक ही भीषण आग लगी थी. जिसमें 10 बच्चों की मौके पर ही झूलस जाने और दम घुट जाने की वजह से मौत हुई थी. वहीं एक बच्चे की करीब 21 दिन बाद मौत हुई थी. इस घटना के चलते समूचे राज्य में जबर्दस्त हडकंप व्याप्त हो गया था तथा स्वास्थ्य व्यवस्था व सुविधाओं पर काफी बडा सवालिया निशान भी लगाया गया था. जिसके बाद भंडारा जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था व सुविधाओं को चुस्त दुरुस्त करने का काम शुरु किया गया. इसके तहत यहा पर अग्नीशमन व्यवस्था के लिए 1 करोड 92 लाख रुपए की निधि प्राप्त हुई. जिससे अस्पताल परिसर में फायर हाईडे्रंट तथा अस्पताल के भीतरी परिसर में अग्नीशमन व्यवस्था उपलब्ध कराई गई. इसके तहत यदि यहां दोबारा आग लगती है, तो तापमान बढते ही यहां की पाईप लाईन से अपने आप पानी की बौछार शुरु होने वाली व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है. इसी तरह विद्युत दुुरुस्ती के लिए 40 लाख रुपए की निधि से पूरी विद्युत व्यवस्था को बदलकर नया कर दिया गया है. वहीं नवजात शिशु कक्ष के लिए दिये गये 1 करोड रुपयों से नये व अत्याधुनिक यंत्र खरीदे गये. जिसके चलते यहां पर 36 नये इंक्युवेटर उपलब्ध करवाये गये है. इस कक्ष का काम इस समय अंतिम चरण में है और आगामी एक माह के भीतर इस कक्ष को उपयोग में लाना शुरु कर दिया जाएगा. उल्लेखनिय है कि, कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के चलते करीब 3 माह तक इस कक्ष का काम बंद पडा था.

परिचारिकाओं पर आरोप पत्र दाखिल

बता दें कि, इस अग्नीकांड के लिए जिम्मेदार मांगते हुए परिचारिका आंबिल डूके व शुभांगी साठवणे के खिलाफ भादवि की धारा 304 (2) तथा 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया था. फिलहाल जमातन पर रहने वाले इन दोनों परिचारिकाओं के खिलाफ करीब देढ माह पहले ही न्यायालय ने आरोप पत्र दाखिल किया गया. वहीं इस मामले में तत्कालिन जिला शल्यचिकित्सक डॉ. प्रमोद खंडाते को पद से निलंबित किया गया था.

हमारे बच्चों तो गये, लेकिन अब दोबारा ऐसा न हो

एक वर्ष पूर्व लगी आग में अपने नवजात बच्चों को खो देने वाले अभिभावकों ने कहा कि, साल भर पहले लगी आग मेें उनकी आंखों के सामने उनके बच्चों ने दम तोड दिया था. किंतु अब दोबारा ऐसी कोई घटना ना हो, इसे लेकर आवश्यक सतर्कता बरती जानी चाहिए. उस अग्नीकांड में अपने कलेजे के टुकडों को खो चुकी माताओं ने कहा कि, उनकी आंखों के सामने अब भी वह मंजर घूमता है और वे जैसे-तैसे अपने दु:ख पर काबू पाने का प्रयास कर रही है. साथ ही उनकी यह इच्छा है कि, अब दोबारा किसी को भी ऐसे दु:ख का सामना ना करना पडे.

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