महाराष्ट्र

लम्पी की नुकसान भरपाई के लिए हजारों किसान प्रतीक्षा में

10 हजार मवेशियों की मौत

राज्य सरकार द्वारा केवल 2 हजार पशुधन की भरपाई
मुंबई-दि.29 गिले अकाल से त्रस्त किसान गोवंश को होने वाली लम्पी बीमारी से भी हलाकान हो गये हैं. राज्य में करीबन 10 हजार पशुधन की इस बीमारी से मृत्यु हुई है. लेकिन 2204 पशुधन की नुकसान भरपाई दी गई है. जबकि 7136 मृत पशुधन की जांच पूरी होने के बावजूद लापरवाह कार्यप्रणाली के कारण किसानों को यह नुकसान भरपाई नहीं मिल पाई है.
पिछले दो माह में पशुधन पर आये लम्पी रोग के संकट के कारण राज्य में 10 हजार गोवंश की मृत्यु हुई है. लम्पी रोग से मृत मवेशियों के पालकों को तत्काल आर्थिक सहायता देने की घोषणा राज्य सरकार द्वारा की गई. लेकिन प्रत्यक्ष में हजारों किसानों को यह सहायता मिलने के लिये चक्कर काटने पड़ रहे हैं. अनेक जिलों को गिले अकाल ने घेरा रहते घर के पशुधन की भी लम्पी रोग के कारण मृत्यु होने से किसानों पर दोहरा संकट मंडराया है. लेकिन लापरवाह कार्यप्रणाली के कारण किसानों को नुकसान भरपाई अब तक नहीं मिल पाई है.
राज्य में 9,842 पशुधन लम्पी रोग से मृत हुए हैं. इनमें से 7,136 गोवंश की जांच पूर्ण होने के बावजूद मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में समिति द्वारा केवल 2,723 मवेशियों की जांच की गई. करीबन 5 हजार से अधिक मवेशियों की अभी तक जांच नहीं होने से किसानों को आर्थिक सहायता मिलने में दुविधा निर्माण हुई है. राज्य में अब तक 96,862 गोवंश और बैल लम्पी रोग की चपेट में आये हैं. सर्वाधिक मृत्यु बुलढाणा जिले में 1130 दर्ज हुई है.

गोवंश को बचाने किसानों का खर्च अधिक
लम्पी से पशुधन को बचाने के लिये और उनके उपचार पर किसानों ने काफी खर्च किया है. गिले अकाल के कारण किसानों के पास पैसा नहीं है. लम्पी रोग से मृत पशुधन के पालकों को तत्काल उनके खाते में नुकसान भरपाई के पैसे सरकार द्वारा जमा करने चाहिए. मवेशियों की मृत्यु होने का विश्वास होगा तो नुकसान भरपाई देने में सरकार द्वारा लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.
– डॉ. अजीत नवले, नेता, किसान सभा

पशुधन की नुकसान भरपाई
मृत पशुधन की संख्या ः 9842
की गई जांच की संख्या ः 7,136
नुकसान भरपाई के लिये प्रस्तुत प्रस्ताव ः 3694
समिति द्वारा मंजूर किये पशुधन की संख्या ः 2723
नुकसान भरपाई अदा किये पशुधन ः 2204
कुल अदा की गई रकम ः 5 करोड़ 62 लाख 15 हजार
* मवेशियों को घोषित की गई सहायता
दुधारु गाय ः 30 हजार
बैल ः 25 हजार
बछड़ा ः 16 हजार

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