महाराष्ट्र

तीन अरब लोगों को मौसम बदलने का खतरा

आईपीसीसी की रिपोर्ट में चेतावनी

नागपुर/ दि.1– कार्बन उत्सर्जन कम न होने के कारण मानव को विपरित परिणाम का सामना करना पडेगा. दुनिया के 3 अरब से अधिक लोगों को मौसम बदले का खतरा बर्दाश्त करना पडेगा, ऐसी चेतावनी मौसम बदलाव पर काम करने वाले आंतर सरकारी पैनल ने (आईपीसीसी-इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज) ने जारी ताजी रिपोर्ट में दी है.
‘मौसम बदलाव 2022 : प्रभाव, अनुकूलन और असुरक्षा’ इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर कार्बन उत्सर्जन तेजी से कम नहीं किया गया तो, उष्णता और नमी मानव सहनशक्ति से ज्यादा बढ जाएगी, ऐसी असहाय परिस्थिति का विपरित परिणाम होने वाले देशों में भारत का भी समावेश है. एशिया खंड के कृषि और अनाज प्रणाली पर बदलते मौसम का बडा विपरित परिणाम होगा. भारत में चावल उत्पादन में 10 से 30 प्रतिशत कमी हो सकती है. मक्का का उत्पादन 25 से 70 प्रतिशत कम हो सकता है. इतना ही नहीं तो तापमान में 1 से 4 डिग्री सेल्सियस तक वृध्दि हो सकती है. सामाजिक, आर्थिक बदलाव के कारण एशिया खंड के सभी देशों में जलापूर्ति और मांग में काफी बडा असंतोल निर्माण हो सकता है. इसके कारण पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड सकता है.
तापमान बढने के कारण एशियाई देशों में इस शतक के अंत में अकाल जैसी स्थिति निर्माण होगी. हाल ही में मौसम विभाग ने किये सर्वे के अनुसार चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र के कारण वातावरण प्रदूषित होने के कारण स्वास्थ्य संबंधित बीमारी व स्वास्थ्य की समस्या निर्माण हो रही है. इसके कारण कर्मचारियों को चंद्रपुर में 34 हजार दिन बीमारी के लिए छुट्टी और नागपुर में 30 हजार दिन काम पर अनुपस्थित रहे. चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र का मौसम प्रदूषण परिणाम नांदेड, पुणे और मुंबई सहित अन्य शहरों तक पहुंचने की बात सर्वे में पायी गई. हवा प्रदूषण के कारण 2020 में चंद्रपुर में 85 लोगों की अकाल मौत, नागपुर में 62, यवतमाल में 45, मुंबई में 30, पुणे व नांदेड में प्रति 29 अकाल मोैत होने का अनुमान है. इसके साथ ही मध्यभारत के कई शहरों में भी इसका विपरित परिणाम हुआ है.

मुंबई को भी झटका
मुंबई परिसर में 2035 तक करीब ढाई करोड नागरिकों को मौसम बदलाव का झटका बर्दाश्त करना पडेगा. उन्हें बाढ और समुद्र के जलस्तर बढने का अधिक खतरा है, ऐसा भी रिपोर्ट में कहा गया है.

– भारत में चावल उत्पादन 10 से 30 प्रतिशत तक और मक्के का उत्पादन 25 से 70 प्रतिशत कम होगा.
– तापमान में 1 से 4 डिग्री सेल्सियस तक वृध्दि होगी.
– समुद्र का जलस्तर बढने से भारत के साडे तीन से साडे चार करोड नागरिकों को खतरा.
– विश्व सकल राष्ट्रीय उत्पादन में 10 से 23 प्रतिशत कमी आने की संभावना है.
– कैंसर, डेंग्यू, मलेरिया जैसे बीमारी में वृध्दि होगी.

Related Articles

Back to top button