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बरसात में ज्यादा सावधानी जरूरी
मुंबई/दि.२९ – राज्य में कोरोना की दूसरी लहर पर धीरे-धीरे नियंत्रण लाने की कोशिशें चल ही रही हैं कि तीसरी लहर के खतरे की आशंका जताई जा रही है. कोरोना की तीसरी लहर में छोटे बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को महिला और बाल विकास विभाग के साथ बैठक की. इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र मेडिकल कौन्सिल की ऑनलाइन कार्यशाला का उद्घाटन भी किया.
इस मौके पर उन्होंने राज्य के नागरिकों को यह संदेश दिया कि कोरोना का रोग अलग है, इसे ज्यादा देर तक टालें नहीं. जैसे ही लक्षण दिखे, तुरंत इलाज करवाएं. उन्होंने कहा कि जरूरत ना होने पर भी अस्पताल जाना और जरूरत होने पर भी अस्पताल जाने में देर लगाना, ये दोनों खतरनाक हैं. साथ ही उन्होंने अनावश्यक और अत्यधिक दवाइयों के उपयोग से भी बचने की सलाह दी. उन्होंने स्टेरॉयड के अत्यधिक इस्तेमाल से बचने की सलाह दी और कहा कि ऐसा ना हो कि लोगों को रोग से भयंकर इलाज लगने लगे.
मुख्यमंत्री ने कोरोना की तीसरी लहर का जिक्र करते हुए कहा कि इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों पर बताया जा रहा है. यह पता नहीं कि कितना सही है. लेकिन अगर बच्चों पर खतरा सबसे ज्यादा है तो यह समझना जरूरी है कि उन पर यह खतरा किनके माध्यम से आएगा? अगर परिवार के वयस्क लोग पूरी सावधानी बरतते हुए अपने आप को कोरोना से दूर रखेंगे तो बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे.
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बरसात में खास सावधानी जरूरी
सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि थोड़े दिनों में बरसात शुरू हो जाएगी. बरसात के वक्त सबसे ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत है. कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैलता है. इसलिए बरसात में अतिरिक्त सावधानी जरूरी है. अब तक जो अनुभव सामने आए हैं उनके मुताबिक जिन कोरोना मरीजों को पहले से ही कोई अन्य बीमारी होती है, उनके लिए कोरोना बेहद घातक होता है. ऐसे मरीजों के इलाज में उनकी इन बीमारियों का ध्यान रखना जरूरी है.
महिला और बाल विकास विभाग के साथ अपनी बैठक में सीएम उद्धव ठाकरे ने यह निर्देश दिया कि कोरोना से जिन बच्चों के माता-पिता या दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो गई है, ऐसे बच्चों का ख़याल रखने के लिए विभाग कोई कार्यक्रम तैयार करे. ऐसे बच्चों का पालन-पोषण और शिक्षण कैसे किया जा सकता है, इसकी पूरी योजना बना करे प्रस्तुत करे.
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बच्चों के कुपोषण को कम करने के लिए काम करें
माझे कुटुंब माझी जबाबदारी (मेरा परिवार, मेरी जिम्मेदारी) अभियान के तहत राज्य के प्रत्यके घर तक पहुंच कर परिवारों का सर्वेक्षण किया गया है. इस सर्वेक्षण की पूरी जानकारी संबंधित जिलाधिकारियों के पास है. इनमें बच्चों की जानकारियां भी शामिल हैं. इनमें से जो कम वजन के बच्चे हैं, उन पर अधिक ध्यान रखते हुए उनके स्वास्थ्य का ख़याल किया जाए. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ग्रामीण, आदिवासी और शहरी भागों के बच्चों के कुपोषण को कम करने की द़ृष्टि से आईसीडीएस की पुनर्रचना करने के संदर्भ में विभाग एक निश्चित प्रस्ताव सामने लाए.