* शहर व अन्य उत्पादन की बिक्री से कमाए 4 लाख रुपए
* 100% मधुमक्खी पालन का व्यवसाय
मुंबई/दि.20- पर्यटक अब जैविक-ऑर्गेनिक खेती और ग्रामीण परिवेश देखने के लिए गांव की तरफ जा रहे हैं. इस कारण नए पर्यटन केंद्र सामने आ रहे हैं. इन्हीं से है सातारा के महाबलेश्वर तहसील में स्थित मांघर गांव. यहां पर्यटक मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन देखने आते हैं. एस साल में एक लाख से अधिक पर्यटक आ चुके हैं.
मांघर शत-प्रतिशत मधुमक्खी पालन करने वाला गांव बन गया है. इसे पहले शहद गांव का दर्जा मिल चुका है. राज्य सरकार ने मांघर को शहर (हनी) गांव के रुप में विकसित करने की योजना 16 मई 2022 को शुरु की थी. एक साल पहले तक 70 प्रतिशत परिवार मधुमक्खी पालन करते थे. अब कमोवेश पूरा गांव ही मधुमक्खी पाल रहा है. राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल (बोर्ड) के शहर निदेशालय के निदेशक दिग्विजय पाटील ने बताया कि मांघर हर साल 3 हजार 800 किलो शहर का उत्पादन कर रहा है. इसे मांघर आने वाले पर्यटकों को मुहैया कराया जा रहा है. शहर और इसके अन्य उत्पाद की बिक्री से लगभग 4 लाख रुपए से ज्यादा की आय ग्रामीण को हो रही है.
* यू बढ़ा मधुमक्खी पालन
पराग और पुष्प रस की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सूर्यमुखी की खेती को बढ़ावा दिया,यूरोपियन मधुमक्खी एपिस मेलीफेरा का बीज लाया गया, ग्रामीणों को 40 नई मधुमक्खी कॉलोनी विकसित हुई.
* खुला बाजार उपलब्ध, शहर बिक्री की समस्या नहीं
पाटील ने बताया कि राज्य के 31 जिलों में 4 हजार 500 लोग मघुमक्खी पालन करते हैं. हर साल 1 लाख 59 हजार किलो शहद का उत्पादन होता है. यह शहद खुला बाजार में भी उपलब्ध होता है. शहर निदेशालय, सहकारी सोसाइटी, एनजीओ भी शहद खरीदते हैं.
* पालघर, कोल्हापुर, चंद्रपुर में बनेंगे शहद के गांव
मर्ई के आखिर तक कोल्हापुर की भुदरगड तहसील के पाटगांव को शहद गांव के रुप में विकसित किया जाएगा. इसी तरह अमरावती के चिखलदरा तहसील के आमझरी, पालघर के विक्रमगड तहसील के घानेघर गांव को शहद गांव के लिए चिन्हित किया गया है. चंद्रपुर की जिवती तहसील के एक गांव में भी सर्वे पूरा हो चुका है. गडचिरोली, रत्नागिरी और रायगड के एक-एक गांव की पहचान कर उनको शहद गांव के रुप में विकसित किया जाएगा.
– बिपीन जगताप, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी (उद्योग),
राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल
* शहद ब्रांड को दिया जाएगा गांव का नाम
केंद्र सरकार का खादी ग्रामोद्योग आयोग मधुबन ब्रांड से शहद उपलब्ध कराता है. लेकिन मांघर में उत्पादित शहद में मधुबन ब्रांड के साथ शहद का गांव मांघर भी लिखा होगा. राज्य में स्थापित होने वाले शहद गांवों को उनके नाम से पहचाना जाएगा.
– अंशु सिन्हा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी
राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल
* महाबलेश्वर में शुरु होगी अत्याधुनिक प्रसंस्करण इकाई
महाबलेश्वर में शहद उत्पादन के लिए अत्याधुनिक प्रसंस्करण इकाई के लिए आधुनिक मशीनें खरीदी गई है और यहां हनी पार्क बनाने का फैसला लिया गया है. ऑर्गेनिक शहद की खरीदी दर 400 रुपए प्रतिकिलो से बढ़ाकर 500 रुपए कर दी गई है. छत्ते से निकलने वाले मोम की खरीदी दर प्रति 250 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए प्रतिकिलो कर दी गई है. विश्व मधुमक्खी दिवस पर शनिवार को मधुमक्खी पालकों को मधुमित्र पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. मांघर गांव के सभी परिवारों को सम्मानित किया जाएगा.
– रवींद्र साठे, सभापति, राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल
प्रदेश में बढ़ रहा शहद का उत्पादन
वर्ष उत्पादन
2022-23 1 लाख 59 हजार किलो
2021-22 1 लाख 27 हजार किलो
2020-21 1 लाख 17 हजार किलो
2019-20 1 लाख 9 हजार किलो
2018-19 81 हजार 787 किलो
2017-18 68 हजार 607 किलो