आज विश्व गौरैया दिवस

बुलडाणा-वर्तमान में ‘चिडिया आ, पानी पी और भूर्र उड जा’…यह गीत विलुप्त होता दिख रहा है. पहले बच्चों को चूप कराने के लिए तथा उन्हें भोजन कराते समय यह गीत सुनाई देते था. लेकिन बदलते समय के साथ अब इन गीतों की गूंज कम हो गई है. आज अभिभावक बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा देते है. ऐसे में विश्व गौरैया दिवस मनाते समय गौरया की चहचहाट जहां कम होती दिख रही है, वहीं बुलडाणा के सुंदरखेड परिसर में रहने वाले राहुल चव्हाण के घर गौरैया का मुक्त संचार दिखाई देता है. उन्होंने अपने घर के आंगन में, छत और छज्जे पर चिडियों के घरौंदा बनाकर उनके रहने की व्यवस्था करवाई है. इन गौरैया के लिए दाना-पानी भी उपलब्ध कराया है. लगभग 12 से 13 गौरैया का परिवार यहां रहता है. सुबह से ही इन चिडियों की चहचहाट गूंजती है. यह भले ही छोटा से प्रयास होने पर भी गौरैया के संवर्धन के लिए निश्चित ही सराहनीय है. गौरैया के प्रति जागरूकता बढाने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. इसके अलावा ये शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने हेतु भी मनाया जाता है.