महाराष्ट्र

राज्य बोर्ड को दसवीं की परीक्षा लेना अब मुश्किल!

  •  सरकार को परीक्षा रद्द ही करनी पडेगी

  •  अंकों के समानीकरण का मुद्दा होगा अहम

मुंबई/ दि. 15 – दसवीं की परीक्षा ऑफलाइन लेने बाबत तैयारी रहने की बात बार बार राज्य बोर्ड कह रहा है फिर भी सीबीएसई बोर्ड ने परीखा रद्द करने बाबत घोषणा की है. जिससे अंकों का समानीकरण का मुद्दा फिर एक बार हावी होने की संभावना नकारी नहीं जाती, इस तरह का दावा शिक्षा विशेषज्ञों ने किया है. केंद्रीय व राज्य बोर्ड के गुणदान पध्दति में मुलभूत फर्क रहने से सभी विद्यार्थियों की गुणवत्ता का समानीकरण होने के लिए ‘बेस्ट ऑफ फाईव्ह’ यह सूत्र राज्य बोर्ड ने 10 वर्ष पहले लाया. इस बार कोरोना के चलते सीबीएसई बोर्ड ने परीक्षा रद्द की. इसका झटका अब सभी बोर्ड को लगेगा. सीबीएसई में अंतर्गत मुल्यांकन का फार्मुला लाकर अपने विद्यार्थियों को सीधे गुणदान किया तो राज्य बोर्ड परीक्षा ही नहीं ले पायेगी. वह जो फार्मुला इस्तेमाल करेंगे उसी फार्मुले के आसपास रहकर विद्यार्थियों को दसवीं का गुणांकन करना होगा. जिससे अब सीबीएसई के साथ साथ सभी बोर्ड को दसवीं की परीक्षाएं रद्द करनी पडती है या नहीं, इस ओर देखा जा रहा है.
दसवीें के बाद अलग अलग पाठ्यक्रमों को प्रवेश लेते समय अंकों का महत्व ज्यादा है. शहर के नामी महाविद्यालय से वे ग्रामीण क्षेत्र की संस्था में भारी प्रतिशतवारी से प्रवेश में स्पर्धा निर्माण हुई थी.
10 वर्ष पहले केंद्रीय विद्यार्थियों की तुलना में राज्य बोर्ड के विद्यार्थी प्रवेश में पीछे रहते थे. नामी महाविद्यालय नहीं मिलते थे. इस कारण ग्यारहवीं प्रवेश के सूत्र के तौर पर 5 ही विषयों के गुण ग्राह्य मानने का ‘बेस्ट ऑफ फाईव्ह’ पर्याय राज्य बोर्ड ने सुप्रिम कोर्ट में लढा देते समय लागू किया. एक बोर्ड की परीक्षा होगी और एक बोर्ड की परीक्षा रद्द इस कारण अंक समानीकरण का मुद्दा फिर उपर आयेगा. इस कारण सभी मंडलों को दसवीं की परीक्षा रद्द करनी पडेगी. अब केवल परीक्षा आगे ढकेली गई है और परीक्षा होगी, ऐसा भले ही बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी कह रहे है फिर भी राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भी परीक्षा रद्द करनी होगी, ऐसी संभावना दिखाई दे रही है. जिससे विद्यार्थियों को दसवीं का गुणांकन तय करने के लिए फार्मुला तैयार करना होगा. सीबीएसई बोर्ड के राज्य के विद्यार्थियों की संख्या तकरीबन 75 हजार से ज्यादा है. उस तुलना में राज्य बोर्ड के विद्यार्थियों की संख्या तकरीबन 17 लाख से ज्यादा है. राज्य बोर्ड की संख्या ज्यादा है फिर भी अन्य बोर्ड की कम रहने वाली विद्यार्थी संख्या दसवीं बाद के प्रवेश में विद्यार्थियों को सिरदर्द साबित होती है. इस कारण ऑफलाइन परीक्षा की जिद छोडकर राज्य बोर्ड को विविध पर्याय तलाशने होंगे.

  • इन समस्याओं का करना होगा सामना

– सीबीएसई के साथ साथ अन्य केंद्री बोर्ड ने परीक्षा रद्द की तो, तथा राज्य बोर्ड की ऑफलाइन परीक्षा हुई तो केंद्रीय बोर्ड के विद्यार्थी व राज्य बोर्ड के विद्यार्थी के बीच गुणवत्ता का समानीकरण निश्चित कैसे करना यह मुख्य प्रश्न आगामी प्रवेश यंत्रणा के सामने रहेगा.
– सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा पैटर्न और शिक्षा पध्दति में राज्य बोर्ड के परीक्षा की पध्दति से अलग अलग पेैटर्न अपनाए जाते है. सीबीएसई बोर्ड वह पैटर्न अपनाएगा और आठवीं व नौवीं की भी क्लास की मुल्यांकन पध्दति का विचार कर अनेक पैटर्न सामने आयेंगे, ऐसी संभावना है. जिससे इस तरह की यंत्रणा राज्य बोर्ड के पास है क्या? यह जांचना पडेगा.
– दिये हुए अंक यह अगर कम लगते है तो विद्यार्थियों को कोरोना प्रादुर्भाव कम होने के बाद दसवीं की परीक्षा देने की संधी सीबीएसई की ओर से दी जाएगी, ऐसा कहा जाता है. क्या इस पध्दति से समानीकरण पूर्ण होगा, इस तरह के प्रश्न उपस्थित किये जा रहे है.

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