अकोलामहाराष्ट्र

मेलघाट में अकोला के पर्यटकों को दिखाई दिया पट्टेदार बाघ

डेढ घंटे तक हुए दर्शन

अकोला /दि.17– मेलघाट में आसानी से बाघ के दर्शन न होने की बात अब पुरानी हो गई है. मेलघाट के शहानूर सफारी में अकोला के पर्यटकों को पट्टेदार बाघ (मादा) के डेढ घंटे तक दर्शन हुए. पर्यटकों ने इस बाघ की गतिविधियां कैमरे में भी कैद की.
अकोट वन्यजीव विभाग के धारगढ, गुल्लरघाट, अमोना, केलपानी आदि गांव का पुनवर्सन हुआ. इस कारण मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के वन्यजीवों को खुली हवा में रहते आ रहा है. जंगल में मनुष्य का हस्तक्षेप कम हुआ और खेत जमीनों पर मैदान तैयार हो गया. इस कारण तृणभक्षी प्राणी बढ गये, जो पूरे जंगल में फैले है. पौष्टिक घास के कारण नीलगाय, सांबर की संख्या भी तेजी से बढी. 14 अप्रैल को अकोला के फोटोग्राफर मिलिंद जोग, वनमित्र राजेश बालापुरे और वन्यजीव प्रेमी आदित्य दामले ने शहानूर सफारी की. सफारी में पर्यटक मार्गदर्शक राठोड ने गुल्लरघाट के तालाब में बाघ के दर्शन होने की बात कही. कडी धूप में गुल्लरघाट के तालाब का पानी सुख जाता है और उस जगह पर हरीभरी घास बढती है. इस क्षेत्र में घास खाने के लिए नीलगाय, हिरण, सांभर भारी मात्रा में आते है. भीषण गर्मी से त्रस्त पट्टेदार बाघ भी तालाब के इस हरे भरे क्षेत्र में डेरा जमाता है. एक पट्टेदार बाघ ने यहां पर डेरा जमाकर रखा है. पेडों की छांव और पानी मिलने से पट्टेदार बाघ ने यहां पर अपना साम्राज्य तैयार किया है. सोमवार को दोपहर में 4.30 बजे के दौरान पर्यटक दो जिप्सी में गुल्लरघाट तालाब पर पहुंचे. कुछ ही दूरी पर तालाब के बीचोबीच एक पट्टेदार बाघ आराम करता हुआ पर्यटकों को दिखाई दिया. जिप्सी सामने ले जाने पर पट्टेदार बाघ की नजर भी पर्यटकों पर पडी. फोटोग्राफर मिलिंद जोग ने यह दुर्लभ दृश्य कैमरे में कैद किया. करीबन डेढ घंटे तक तालाब की यह रानी पर्यटकों को दर्शन देती रही. पश्चात यह बाघ वहां से चला गया. 28 सालों के प्रयासों के बाद मेलघाट में पट्टेदार बाघ के डेढ घंटे तक दर्शन होने की जानकारी दामले ने दी.

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